अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (एशिया एवं प्रशांत) के निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन ने कहा कि भारत में निजी निवेश अभी भी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि उत्पाद, मशीन उपकरण जैसे उन मदों में निवेश धीमा बना हुआ है जो अर्थव्यवस्था की उत्पादकता बढ़ा सकते हैं। श्रीनिवासन ने कहा, ‘हम निजी निवेश को लेकर चिंतित हैं, जो अभी भी सुस्त बना हुआ है। अगर भारत 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनना चाहता है तो निजी निवेश को और गति देने की जरूरत है।’
आईएमएफ ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत की वृद्धि का अनुमान 30 आधार अंक कम करके 6.2 प्रतिशत कर दिया था। आईएमएफ ने व्यापार संबंधी तनाव बढ़ने और वैश्विक अनिश्चितता का हवाला देते हुए वृद्धि अनुमान घटाया है। आईएमएफ (एशिया प्रशांत) के डिप्टी डायरेक्टर थॉमस हेलब्लिंग ने कहा, ‘अगर भारत व्यापार खोलता है, ढांचागत सुधार करता है, श्रम सुधार करता है तो इससे लाभ मिल सकता है। दीर्घावधि के हिसाब से देखें तो भारत को शिक्षा के साथ सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर कम करने की जरूरत है, जिससे व्यापार के अवसर पैदा हो सकते हैं और भारत को क्षेत्रीय व वैश्विक एकीकरण से व्यापक लाभ मिल सकता है।’
आईएमएफ ने कहा है कि भारत का वृद्धि अनुमान घटाने की मुख्य वजह शुल्क में बढ़ोतरी है, हालांकि अन्य देशों की तुलना में भारत पर व्यापारिक झटकों की संभावना कम है। आईएमएफ ने यह भी उल्लेख किया कि भारत उन अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जहां सार्वजनिक व्यय की कुशलता सुधर रही है और ज्यादा राजस्व के लिए कर सुधार किए गए हैं। आईएमएफ ने कहा, ‘भारत में वृद्धि 2024 के अंत में निर्यात और खपत के गति पकड़ने से संचालित है। हालांकि परिणाम आश्चर्यजनक रूप से नीचे करने वाले रहे, जिसकी वजह चुनाव के बाद सार्वजनिक निवेश की धीमी शुरुआत और अस्थायी वजहें हैं।’