यूटीआई एसेट मैनेजमेंट कंपनी के ग्रुप प्रेसिडेंट और प्रमुख (फिक्स्ड इनकम) अमनदीप चोपड़ा का मानना है कि 2023 में दरों में कटौती की संभावना नहीं है क्योंकि इस बार मुद्रास्फीति अधिक स्थिर है।
अभिषेक कुमार के साथ बातचीत में चोपड़ा ने कहा कि इस साल दरों में कटौती की संभावना तभी हो सकती है जब मुद्रास्फीति व आर्थिक विकास दर 5 फीसदी से कम हो। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
दर में बढ़ोतरी का चक्र जल्द ही समाप्त होने वाला है। अब आपकी क्या रणनीति होगी?
इस वर्ष देखने वाली बात यह है कि लंबी अवधि का लक्ष्य हासिल करने के बाद केंद्रीय बैंक कितने समय तक दरों को
परिवर्तित नहीं करता है। इसके अलावा, दरों के चक्र के अगले चरण के संबंध में बाजार क्या मानकर चल रहा है। कुल
मुद्रास्फीति की दर घटनी शुरू हो गई है, लेकिन इसे लेकर अभी भी चिंता है। हमने अपने पोर्टफोलियो की अवधि बढ़ा
दी है और संचयन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो निवेशकों को मुद्रास्फीति पर रिटर्न की वास्तविक दर प्रदान कर
रहा है। हम अपने आंकड़ों पर नजर रख रहे हैं और रुझानों पर नजदीकी से ध्यान दे रहे हैं। हम अपने पोर्टफोलियो की
अवधि और बढ़ाने पर विचार करेंगे।
तीन साल के लिहाज से निवेशकों को कौन से फंडों को प्राथमिकता देनी चाहिए?
तीन साल या उससे ज्यादा निवेश का नजरिया रखने वाले निवेशकों को सक्रियता से प्रबंधित मध्यम अवधि वाले (1
से चार साल) वाले फंडों को प्राथमिकता देनी चाहिए क्योंकि इसका प्रतिफल उचित होता है।
केंद्रीय बजट आने वाला है। बाजार वित्तीय घाटे के किस स्तर के साथ ठीक रहेगा? यह प्रतिफल को कैसे प्रभावित
करेगा?
बाजार 2023-24 में कुछ हद तक राजकोषीय मजबूती की उम्मीद कर रहे हैं। बाजार सकल घरेलू उत्पाद के करीब
5.9 फीसदी राजकोषीय घाटे की उम्मीद कर रहा है। 6.2 फीसदी से अधिक आंकड़े बाजार को निराश कर सकते हैं,
जिससे प्रतिफल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि दर में कटौती 2023 में शुरू हो जाएगी। क्या आपको ऐसी संभावना दिखती है?
नीतिगत दरों के लक्ष्य पर पहुंचने के बाद हम अचानक से दरों में कटौती के बारे में अभी तक आश्वस्त नहीं हैं। हमारी
समझ से, केंद्रीय बैंक इतनी जल्दी बदलाव के पक्ष में नहीं है क्योंकि इस समय मुद्रास्फीति अधिक स्थिर दिखाई दे रही
है। यदि मुद्रास्फीति 5 फीसदी से कम हो जाती है और आर्थिक विकास दर 5 फीसदी से कम हो जाती है तो दरों में
कटौती की संभावना हो सकती है।
यह मानते हुए कि प्रतिफल अपने उच्च दर पर पहुंचने वाला है और दरों में कटौती एक या इससे अधिक साल में हो
सकती है, लंबी अवधि वाले डेट फंडों में निवेश करना ठीक होगा?
प्रतिफल का चक्र स्थिर है और मूल्य निर्धारण के 6.5 फीसदी के लक्ष्य पर पहुंचने की अपेक्षा है। चूंकि मौजूदा दरें
अनुकूल हैं, इसलिए निवेशकों के लिए थोड़ी अवधि जोड़ना समझदारी है। उदाहरण के लिए, पांच साल के सॉवरिन
बॉन्ड पर 7.2 फीसदी का रिटर्न मिलता है, जो 5.25-5.5 फीसदी की एक साल की आगे की मुद्रास्फीति की तुलना में
लगभग 200 आधार अंक अधिक है। हालांकि, लंबी परिपक्वता वाली सॉवरिन प्रतिभूतियों के लिए प्रतिफल बहुत
आकर्षक नहीं हैं क्योंकि मुश्किल से 10 आधार अंकों का ही अंतर है। मेरा मानना है कि निवेशकों को लंबी अवधि के
फंड को अपने मुख्य निवेश में चरणबद्ध तरीके से जोड़ना चाहिए।
क्रेडिट रिस्क फंड निवेशकों के रेडार से दूर हो गए हैं। स्प्रेड नहीं बढ़ने के कारण क्या आपको लगता है कि बेहतर रिटर्न
देने के लिए फंड मैनेजरों को ज्यादा जोखिम उठाना चाहिए?
आर्थिक चक्र में सुधार, कम ब्याज दरों और घरेलू और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के खुलते ही नकदी में कमी के कारण
2022 में क्रेडिट फंडों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। हमने 2022 में इसमें काफी उतार-चढ़ाव देखा है। हमने ‘एए’ क्रेडिट
अंतराल भी देखा है जो जनवरी 2023 तक अपने पांच साल के औसत पर वापस आ गया है। हम उम्मीद करते हैं कि
2023 क्रेडिट के लिए एक स्थिर वर्ष रहेगा।
बैंकों को सावधि जमा (एफडी) पर अधिक ब्याज देने के लिए मजबूर होना पड़ा है। क्या आप इसे डेट फंडों के लिए
एक चुनौती के रूप में देखते हैं?
डेट फंड अलग-अलग नकदी और निवेश के लिए उत्पादों की एक श्रृंखला पेश करते हैं और प्रत्येक परिसंपत्ति आवंटन
रणनीति का अभिन्न अंग हैं। मेरे विचार से केवल रिटर्न को लेकर डेट फंडों को देखना उचित नहीं है। सक्रिय अवधि
मैनेजमेंट के माध्यम से डेट फंडों में बैंक एफडी से बेहतर प्रदर्शन करने की बहुत संभावना है।