भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा आज जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़कर 5.5 अरब डॉलर हो गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 3.8 अरब डॉलर था।
इसमें वृद्धि की वजह सकल एफडीआई की बढ़ी आवक है, जिसमें वित्त वर्ष 2024-25 के शुरुआती 4 महीनों के दौरान पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 23.6 फीसदी वृद्धि हुई है और यह 27.7 अरब डॉलर हो गया है।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, भारत में प्रत्यक्ष निवेश करने वालों द्वारा प्रत्यावर्तन (मुनाफा, लाभांश आदि अपने देश में भेजने)और विनिवेश वित्त वर्ष के शुरुआती 4 महीनों में बढ़कर 15.9 अरब डॉलर हो गया, जबकि एक वर्ष पहले इसी अवधि में यह 14.7 अरब डॉलर था।
सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की आवक में विनिर्माण, वित्तीय सेवाओं, संचार सेवाओं, कंप्यूटर सेवाओं और बिजली व अन्य ऊर्जा क्षेत्रों की हिस्सेदारी तीन चौथाई से अधिक है।
अर्थव्यवस्था की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने कहा, ‘तीन चौथाई से अधिक आवक प्रमुख स्रोत देशों सिंगापुर, मॉरीशस, नीदरलैंड, अमेरिका, बेल्जियम और जापान से हुई है।’