भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) के सभी बाहरी सदस्यों ने आर्थिक वृद्धि दर सुस्त पड़ने की आशंका जताई है। हालांकि, समिति के आंतरिक सदस्य वृद्धि दर को लेकर आशावादी दिख रहे हैं। अप्रैल में मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के दौरान इन विषयों पर चर्चा हुई।
MPC के सभी सदस्यों ने एकमत से इसी महीने हुई समीक्षा बैठक में रीपो रेट 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया था। मई 2022 और फरवरी 2023 के बीच रीपो रेट में 250 आधार अंक का इजाफा हो चुका है।
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में घरेलू वृद्धि दर को लेकर उत्साह दिखा है। आने वाले समय में आधारभूत क्षेत्र पर सरकार द्वारा व्यय बढ़ाने से देश में निवेश गतिविधियों को ताकत मिलेगी। हालांकि, दास ने यह भी कहा कि आगे चलकर प्रमुख महंगाई दर घट सकती है मगर आर्थिक हालात को लेकर निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है।’
समिति की बाहरी सदस्य आशिमा गोयल ने वृद्धि दर को लेकर अपनी चिंता खुलकर जाहिर की। उन्होंने कहा, ‘ वृद्धि दर वैसे तो मजबूत दिख रही है मगर आने वाले समय में अर्थव्यवस्था की सेहत बताने वाले नियमित अंतराल पर आने वाले आंकड़ों में सुस्ती के संकेत मिल सकते हैं। तेल एवं सोना को छोड़कर अन्य वस्तुओं के आयात में कमजोरी देश में मांग सुस्त पड़ने का संकेत दे रही है। निर्यात की गति सुस्त होने से विनिर्माण क्षेत्र पर असर हो रहा है, वहीं ब्याज दरें लगातार बढ़ने से निम्न आय वर्ग लोगों में सस्ते आवास की मांग कम हो रही है।’
उन्होंने इस बात की तरफ ध्यान आकृष्ट किया कि वास्तविक ब्याज दर एक प्रतिशत से अधिक है। गोयल ने कहा कि फिलहाल ब्याज दरों में और बढ़ोतरी करने से बचा जाना चाहिए।
समिति के एक अन्य बाहरी सदस्य जयंत वर्मा ने महंगाई से जुड़े दो जोखिमों की तरफ इशारा किया। वर्मा ने कहा कि तेल उत्पादक देशों द्वारा तेल के दाम बढ़ाने एवं उत्पादन घटाने और मॉनसून को लेकर सटीक अनुमान उपलब्ध नहीं रहने से चुनौतियां बढ़ सकती हैं।
उन्होंने कहा, ‘अप्रैल मध्य में आकर मौसम वैज्ञानिक मॉनसून को लेकर कुछ कह पा रहे हैं। मई के अंत तक अनुमान सटीक हो सकते हैं। इस वजह से समिति के पास यह मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं था कि मॉनसून सामान्य ही रहेगा।’
वृद्धि दर पर वर्मा ने कहा कि फरवरी में संभावित सुस्ती के शुरुआती संकेत मिलने शुरू हो गए थे। उन्होंने कहा, ‘फिलहाल महंगाई ऊंचे स्तर पर है इसलिए वृद्धि दर की राह में चुनौतियों से निपटने के लिए मौद्रिक नीति समिति के पास विकल्प बहुत सीमित हैं।’
RBI के डिप्टी गवर्नर एम डी पात्र ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष महंगाई सबसे बड़ी चुनौती है।
पात्र ने कहा, ‘भारत में आर्थिक गतिविधियों का दायरा बढ़ रहा है। मगर आने वाले समय में आपूर्ति व्यवस्था बाधित होने से महंगाई और बढ़ सकती है। अगर मूल्य स्थिरता और वृद्धि दर दोनों मोर्चों पर चुनौतियां खड़ी होने का स्थिति में एमपीसी को पूरी तत्परता के साथ कदम उठाने के लिए तैयार रहना होगा।’