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2025 में कर्ज होगा सस्ता, ग्रोथ को मिलेगी रफ्तार! अर्थव्यवस्था की चाल पर क्या है जानकारों का अनुमान

RBI के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि 2024-25 की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के हाई ​फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स बताते हैं कि अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है।

Last Updated- January 01, 2025 | 12:23 PM IST
Indian Economy GDP
Representational Image

2025 Indian Economy Outlook: नए साल की शुरुआत हो गई। इस साल देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार में तेजी की संभावनाएं हैं। साथ ही आम लोगों को और कारोबारियों के लंबे समय में सस्ते कर्ज के इंतजार पर ब्रेक लग सकता है। रिजर्व बैंक की ओर से ब्याज दरों में कटौती की शुरुआत कर सकता है। इस राह में कुछ चुनौतियां भी हैं, जिनसे निपटना होगा। जैसेकि भारत को जियो-पॉलिटिकल टेंशन के अलावा घरेलू स्तर पर महंगाई दर को काबू में रखना होगा। साथ ही प्राइवेट सेक्टर को अपने खर्चे और बढ़ाने होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था सितंबर तिमाही की सुस्ती को पीछे छोड़ते हुए 2025 में और ज्यादा सकारात्मक तेजी की उम्मीद कर रही है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि 2024-25 की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के हाई ​फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स बताते हैं कि अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है। जिसे मजबूत त्योहारी गतिविधि और ग्रामीण मांग में लगातार सपोर्ट मिल रहा है। देश की आर्थिक वृद्धि जुलाई-सितंबर में सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 फीसदी पर आ गई थी। हालांकि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे ‘अस्थायी झटका’ करार दिया है। सीतारमण ने संसद में चर्चा के दौरान कहा था कि दूसरी तिमाही में उम्मीद से कम 5.4 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ एक ‘अस्थायी झटका’ है और आने वाली तिमाहियों में अर्थव्यवस्था में स्वस्थ ग्रोथ देखने को मिलेगी।

फरवरी की RBI MPC पर रहेगी नजर

ग्रोथ बनाम महंगाई की बहस पर वित्त मंत्रालय और आरबीआई के बीच मतभेद के साथ ही सभी की निगाहें फरवरी में ब्याज दरों में संभावित कटौती पर भी टिकी होंगी। केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति की समिति नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​के नेतृत्व में पहली बार बैठक करेगी। समिति की बैठक वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट के तुरंत बाद होगी, जिसमें मोदी 3.0 सरकार के आर्थिक तथा राजकोषीय खाके को पेश किया जाएगा। खासकर ग्लोबल टेंशन और अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के जल्द राष्ट्रपति पद संभालने के संदर्भ में..।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि भारत की संभावनाएं उज्ज्वल हैं, क्योंकि व्यापक आर्थिक बुनियादी मजबूत है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए र​ीयल जीडीपी ग्रोथ 6.6 फीसदी और वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में 6.9 फीसदी रहने का अनुमान है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 7.3 फीसदी रहने का अनुमान है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा भी काफी हद तक ट्रम्प की नीतिगत पहलों पर निर्भर करेगी, जो 20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति का पदभार संभालेंगे। साथ ही भारत के साथ-साथ अन्य देशों में प्रतिभूति तथा मुद्रा बाजारों में वर्तमान अस्थिरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘‘आने वाले वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाएं उज्ज्वल दिख रही हैं। हम उम्मीद कर सकते हैं कि ग्रोथ रेट वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपेक्षित 6.6-6.8 फीसदी के अतिरिक्त 7 फीसदी के स्तर को पार कर जाएगी।’’

साख निर्धारण करने वाली एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वैश्विक स्तर पर बढ़ती अनिश्चितता, जियो-पॉलिटिकल टेंशन, केंद्रीय बैंक की नीतिगत दरों में ढील एवं कमोडिटी की कीमतों, शुल्क के खतरों आदि के बीच घरेलू नजरिए से भारतीय अर्थव्यवस्था का आर्थिक आउटलुक बेहतर नजर आ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘आगामी वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में मध्यम अवधि के नए राजकोषीय मार्ग के सामने आने की उम्मीद है। बाद में अगले वित्त आयोग की सिफारिशें राजकोषीय नीति के लिए दिशा तय करेंगी। वैश्विक अनिश्चितताओं और निर्यात पर उनके प्रभाव को देखते हुए निजी क्षेत्र की क्षमता वृद्धि कुछ हद तक सतर्क रह सकती है।’’

वित्त मंत्रालय की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, सरकार राजकोषीय विवेकशीलता के लिए प्रतिबद्ध है। इसमें कहा गया, केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में घोषित राजकोषीय समेकन के सुचारू मार्ग पर चलने तथा वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.5 फीसदी से कम रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

Q2FY25 में कैसी रही GDP ग्रोथ

वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में देश की आ​र्थिक वृद्धि दर में अनुमान से ज्यादा कमी आई है। दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ 5.4 फीसदी रही जो सात तिमा​ही में सबसे कम है। औद्योगिक उत्पादन में नरमी और निवेश मांग कम रहने से ग्रोथ की रफ्तार धीमी पड़ी है। इसके साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति द्वारा फरवरी में दर में कटौती किए जाने की संभावना भी बढ़ गई है।

सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) 5.6 फीसदी रहा क्योंकि नेट टैक्स कलेक्शन की वृद्धि सात तिमाही में सबसे कम 2.7 फीसदी रही। जीडीपी और जीवीए में अंतर नेट टैक्स होता है।

सितंबर तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर महज 2.2 फीसदी रही और बिजली क्षेत्र 3.3 फीसदी बढ़ा। श्रम आधारित निर्माण क्षेत्र में 7.7 फीसदी वृद्धि देखी गई जबकि पिछली तिमाही में यह क्षेत्र 10.5 फीसदी बढ़ा था। सेवा क्षेत्र में भी थोड़ी नरमी आई। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 7.1 फीसदी रही जो पिछली तिमाही में 7.2 फीसदी बढ़ा था। कृ​षि क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर रहा और यह 3.5 फीसदी बढ़ा। पिछली तिमाही में इस क्षेत्र की वृद्धि दर 2 फीसदी थी। मगर खनन क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई।

 

(एजेंसी इनपुट के साथ)

First Published - January 1, 2025 | 12:23 PM IST

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