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भारत की GDP दर 6 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान; जानें कैसी रहेगी वित्त वर्ष-24 में अर्थव्यवस्था

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर में गिरावट का अनुमान जताया है। हालांकि पहले इंडिया आउटलुक रिपोर्ट ने वित्त वर्ष 24 में 7% का अनुमान जताया था। क्रिसिल के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्याधिकारी (CEO) अमीश मेहता से भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर कम करने पर कृष्ण कांत और विशाल छाबड़िया ने बातचीत की। पेश हैं संपादित अंश:

Last Updated- March 17, 2023 | 7:45 PM IST
Expect India's GDP to moderate to 6% in FY24: CRISIL MD & CEO Amish Mehta

अब क्रिसिल का अनुमान यह है कि भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 24 में 6% की दर से बढ़ेगी। इस अनुमान में 100 आधार अंक की गिरावट है। यह गिरावट किन कारकों के आधार पर की गई है?

वैश्विक अर्थव्यवस्था के उथल-पुथल के दौर में भारत की अर्थव्यवस्था ने लचीला रुख दिखाया है। हालांकि हमारा अनुमान यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी और यह पूर्ववर्ती अनुमान 7 फीसदी से कम 6 फीसदी की दर से बढ़ेगी। इसके लिए तीन कारक उत्तरदायी हैं।

पहला, मुद्रास्फीति बढ़ने और प्रमुख केंद्रीय बैंकों के आक्रामक रुख से ब्याज दरें बढ़ाने से वैश्विक अर्थव्यवस्था की गति कम हुई है। इससे भारत की वृद्धि पर गिरावट का जोखिम हो गया है। हमें इसका असर भारत के व्यापारिक निर्यात में भी देखने को मिल रहा है। व्यापारिक निर्यात में गिरावट शुरू हो गई है। लिहाजा आगामी वित्त वर्ष में घरेलू मांग अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

दूसरा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ब्याज दरें बढ़ाने का पूरा प्रभाव अगले वित्त वर्ष में नजर आएगा। मौद्रिक कदम का असर तीन से चार तिमाहियों में रहता है।

तीसरा, जटिल भूराजनैतिक स्थिति का असर भारत पर पड़ता है। कच्चे तेल और जिसों के दामों में उतार-चढ़ाव होने से भारत की घरेलू मुद्रास्फीति और कॉरपोरेट मार्जिन भी प्रभावित होता है।

दूसरी तरफ, सेवा क्षेत्र में व्यापक रूप से सकारात्मक बदलाव आया है। इसका कारण ग्राहकों का सेवा क्षेत्र पर विवेकाधीन खर्च करना है। हमें उम्मीद है कि सेवा क्षेत्र अगले वित्त वर्ष में भी जीडीपी वृद्धि में सहयोग करेगा। मुद्रास्फीति में गिरावट आने की उम्मीद है। मुद्रास्फीति इस साल औसतन 6.8 फीसदी है जो अगले वित्त वर्ष में पांच फीसदी हो सकती है। कॉरपोरेट क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन कायम रखने की उम्मीद है। तेजी से आमदनी बढ़ने के कारण शहरी अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ना जारी रखेगी। उम्मीद यह है कि शहरी अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 24 में अच्छा प्रदर्शन कायम रखेगी।

कैसे आरबीआई के ब्याज दरें बढ़ाने और उधारी की दर बढ़ने से निजी उपभोग आगे बढ़ता है?

खुदरा ऋण की उधारी की दर में बढ़ोतरी हुई है। जैसे आवास और वाहनों के लोन से उनकी मांग पर प्रभाव पड़ने से मार्जिन प्रभावित होगा। हालांकि अभी ब्याज दरें कोविड से पूर्व के स्तर से कम हैं, ऐसे में कई लोगों के लगाए गए अनुमान से ग्राहकों पर कम प्रभाव पड़ेगा। हमारा अनुमान यह है कि उपभोक्ता बाजार के निचले खंड पर ज्यादातर प्रभाव पड़ेगा और ऊपरी खंड पर कम कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ऊपरी खंड जैसे कारों और नए घरों की मांग पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उच्चतर आय वृद्धि के कारण ग्रामीण उपभोक्ता की अपेक्षा शहरी उपभोक्ता में अधिक लचीलापन रहेगा। हमें उम्मीद है कि शहरी खंड बेहतर प्रदर्शन करना जारी रखेगा।

अनुकूल आधार होने के बावजूद बीती चार तिमाहियों में से दो तिमाहियों (वित्त वर्ष 22 की चौथी तिमाही और वित्त वर्ष 23 की तीसरी तिमाही) में जीडीपी की वृद्धि दर पांच फीसदी से भी कम रही है? क्या इससे भारत की जीडीपी वृद्धि दर और कम होने की चिंता करनी चाहिए?

हमें जीडीपी की वृद्धि दर वित्त वर्ष 24 में छह फीसदी से कम होने की उम्मीद नहीं है। सरकार ने वित्त वर्ष 24 में बड़े पैमाने पर आधारभूत संरचना की परियोजनाओं में सार्वजनिक निवेश करने की घोषणा की है। कम राजस्व खर्चे और सब्सिडी में कटौती का सरकार के पूंजीगत खर्च पर कोई नकारात्मक असर नहीं है। सरकार के पूंजीगत खर्च अधिक करने से कई सकारात्मक प्रभाव होंगे। इसके अलावा सेवा क्षेत्र कुल जीडीपी में अपना बेहतर योगदान देना कायम रखेगा।

First Published - March 17, 2023 | 7:45 PM IST

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