भू-राजनीतिक चुनौतियों और अमेरिका द्वारा लगाए गए ऊंचे आयात शुल्क के बावजूद भारत में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण में निवेश बढ़ रहा है और वित्त वर्ष 2026 में स्मार्टफोन का निर्यात, एक नया रिकॉर्ड बनाने के लिए तैयार है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सुरजीत दास गुप्ता को एक ईमेल साक्षात्कार में यह जानकारी दी। मुख्य अंश:
इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जे के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत कंपनियों के आवेदन जमा करने की आखिरी तारीख 30 सितंबर है जिसके लिए सरकार ने प्रोत्साहन के तौर पर 22,919 करोड़ रुपये तय किए हैं। अब तक कैसी प्रतिक्रिया दिखी है?
हां, हमारे पास इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जे बनाने के लिए 50,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश के आवेदन पहले ही आ चुके हैं। पिछले 11 साल में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण ने जो रफ्तार पकड़ी है वह इस मांग में साफ दिखती है। भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण छह गुना बढ़ा है और इसकी उत्पादन वैल्यू 11.5 लाख करोड़ रुपये हो गई है। इसमें 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निर्यात और 25 लाख नागरिकों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन शामिल है।
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वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, वित्त वर्ष 2026 के पहले चार महीने में भारत का स्मार्टफोन निर्यात 10 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। पिछले वित्त वर्ष 2025 के 25 अरब डॉलर की तुलना में पूरे साल का क्या अनुमान है?
आज दुनिया, भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षमताओं पर भरोसा करती है। यह बात नीतिगत उपायों और प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता के माध्यम से भी लगातार स्थापित हुई है। परेशानियों के बावजूद, भारत का स्मार्टफोन निर्यात वित्त वर्ष 2026 के अंत तक 30-35 अरब डॉलर तक पहुंचने की राह पर है। हम लगभग हर कंपनी द्वारा घरेलू विनिर्माण में विस्तार देख रहे हैं। मोबाइल विनिर्माण तंत्र, ग्लास कवर जैसी एक्सेसरीज में निवेश को भी बढ़ावा दे रहा है।
मोबाइल उपकरणों के लिए पीएलआई योजना को बढ़ाने या कुछ और वर्षों के लिए घरेलू कंपनियों और निर्यात के लिए सहयोग देने की मांग बढ़ रही है। इस पर सरकार क्या सोच रही है? आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि स्मार्टफोन उत्पादन और निर्यात में यह रफ्तार बनी रहे?
भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन उत्पादक है। हमारा प्रयास इन उत्पादन लाभों को स्मार्टफोन और अन्य क्षेत्रों में दीर्घकालिक औद्योगिक नेतृत्व में बदलना है। हम सभी हितधारकों के साथ भविष्य के रोडमैप पर चर्चा कर रहे हैं।
इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जे पर पीएलआई योजना शुरू होने से, यह इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए किस तरह का राजस्व दे सकता है? क्या यह भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में 500 अरब डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचा सकता है और इसमें निर्यात का कितना हिस्सा हो सकता है?
हां, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग 500 अरब डॉलर के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने की राह पर है। पीएलआई की शुरुआत के बाद से, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन हर साल दो अंकों की दर से बढ़ा है, जिससे भारत का उत्पादन लगभग 12 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। पीएलआई, एसपीईसीएस और आधुनिक बुनियादी ढांचे के समर्थन से, उद्योग को इस लक्ष्य को पूरा करने का पूरा भरोसा है।
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सेमीकॉन 2.0 योजना, इस क्षेत्र के लिए शुरुआती 75,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी के बाद अभी चर्चा में है। प्रोत्साहनों के अलावा, इस चरण में कितने अतिरिक्त फैब संयंत्र तैयार होंगे?
अब तक, छह राज्यों में लगभग 1.6 लाख करोड़ रुपये की 10 सेमीकंडक्टर परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसमें दो फैब, आठ एटीएमपी/ओएसएटी संयंत्र, और कंपाउंड सेमीकंडक्टर इकाइयां शामिल हैं।
डीएलआई योजना के तहत, घरेलू चिप डिजाइन और बौद्धिक संपदा अधिकार वास्तव में सीसीटीवी कैमरे, ऊर्जा मीटरिंग, नेटवर्किंग और मोटर नियंत्रण जैसे क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। अब तक, 23 चिप डिजाइन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है और 72 कंपनियों को अब उद्योग-ग्रेड ईडीए उपकरणों तक पहुंच मिल गई है। अब पूरा जोर सामग्री, गैसों, रसायनों और उपकरणों सहित पूर्ण-स्टैक क्षमता बनाने पर है। सेमीकॉन 2.0 इस रफ्तार को गति देने का अगला कदम होगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि भारत एक भरोसेमंद वैश्विक सेमीकंडक्टर केंद्र के रूप में खुद को स्थापित करे।
हाल ही में हुए सेमीकॉन इंडिया 2025 की अहम बातें क्या थीं और ये वैश्विक सेमीकंडक्टर तंत्र में भारत की बढ़ती भूमिका को कैसे दर्शाते हैं?
सेमीकॉन इंडिया 2025 में, 48 देशों के इस क्षेत्र से जुड़े 500 से अधिक नेतृत्वकर्ता एक साथ आए जिनमें एएसएमएल, लैम रिसर्च, अप्लायड मैटेरियल्स, मर्क और टोक्यो इलेक्ट्रॉन जैसे वैश्विक उपकरण और सामग्री तैयार करने वाली दिग्गज कंपनियां शामिल थीं। 17 संस्थानों के छात्रों ने 20 स्वदेशी स्तर पर डिजाइन की गई चिप का प्रदर्शन किया, और बाकी एससीएल मोहाली में तैयार होने हैं।
इस कार्यक्रम में उत्पाद विकास, सेवा विस्तार और प्रतिभाशाली लोगों की टीम पर केंद्रित 13 प्रमुख घोषणाएं हुईं जो भारत के सेमीकंडक्टर अभियान में वैश्विक भरोसे का एक मजबूत संकेत है। यह रफ्तार सेमीकंडक्टर केंद्र के रूप में, भारत की अहम भूमिका में दुनिया के बढ़ते भरोसे का एक प्रमाण है।