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नेपाल में पहली बार इंटरनेट हुआ बंद, सोशल मीडिया रोक और आर्थिक संकट से उभरा देशव्यापी आंदोलन

वैश्विक रुझानों के विपरीत नेपाल में कभी भी इंटरनेट और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का इतिहास नहीं रहा है

Last Updated- September 12, 2025 | 10:01 PM IST
Nepal Protests
नेपाल सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और कार्यालयों का मुख्यालय 'सिंह दरबार' प्रदर्शनकारियों द्वारा आग लगाए जाने के बाद | फोटो: PTI

नेपाल में हालिया विरोध सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रोक लगाने के बाद और ज्यादा उग्र हो गया था। मगर प्रतिबंध ही विरोध का असली कारण नहीं था। नेपाल में ऐसे प्रतिबंधों का कोई खास इतिहास नहीं रहा है। इसके बजाय बेरोजगारी, महंगाई और राजनीतिक अस्थिरता जैसे गंभीर मुद्दे भी उभर रहे थे। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अचानक लगाए गए प्रतिबंध चिनगारी बन गई और लोगों का गुस्सा सड़क तक आ गया। मगर यह भी सही है कि लंबे समय से दुनिया भर की सरकारें इंटरनेट पर प्रतिबंध को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं।

पिछले एक दशक के दौरान दुनिया भर में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाना में तेजी से इजाफा हुआ है। साल 2016 में ऐसे 78 मामले थे, जो 2024 में बढ़कर 296 हो गए। भारत 2016 से ही लगातार दुनिया भर में शीर्ष स्थान पर बना है और लोगों के बढ़ते विरोध-प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए इंटरनेट पर प्रतिबंध को उपकरण के तौर पर इस्तेमाल करता है। हालांकि, पिछले साल 2024 में यह 2016 के बाद संभवतः पहली बार शीर्ष से खिसककर दूसरे स्थान पर पहुंच गया। मगर भारत ने कभी भी देश भर में इंटरनेट पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। सरकार ने हमेशा आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए स्थानीय स्तरों पर इसका इस्तेमाल किया है।

वैश्विक रुझानों के विपरीत नेपाल में कभी भी इंटरनेट और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का इतिहास नहीं रहा है। 2016 से 2022 के बीच एक बार भी इंटरनेट बंद नहीं किया गया। सबसे पहले ऐसा 2023 में किया गया था और उसके बाद 2024 में एक बार फिर इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाया गया था। यह मिसाल इसलिए भी दी जा रही है क्योंकि इंटरनेट पर प्रतिबंध राजनीतिक इतिहास के अनुरूप नहीं थे। यही वजह है कि सिर्फ प्रतिबंध को ही विद्रोह का कारण नहीं माना जा सकता है। मौजूदा आर्थिक और राजनीतिक दबाव के कारण अशांति बढ़ी और प्रतिबंध ने इसे और हवा दिया।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की अगर बात करें तो एक्स को 2024 में सबसे ज्यादा बार ब्लॉक किया गया और 14 देशों में 24 बार इस पर प्रतिबंध लगाई गई। इसका दबदबा किसी भी खबर को उसी वक्त फैलाने और राजनीतिक लामबंदी के लिए प्राथमिक साइट के रूप में इसकी भूमिका को दर्शाता है। फेसबुक और व्हाट्सऐप का स्थान इसके बाद है, जो उनके बड़े पैमाने पर किए जा रहे उपयोग को भी दर्शाता है।

First Published - September 12, 2025 | 10:01 PM IST

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