facebookmetapixel
देशभर में मतदाता सूची का व्यापक निरीक्षण, अवैध मतदाताओं पर नकेल; SIR जल्द शुरूभारत में AI क्रांति! Reliance-Meta ₹855 करोड़ के साथ बनाएंगे नई टेक कंपनीअमेरिका ने रोका Rosneft और Lukoil, लेकिन भारत को रूस का तेल मिलना जारी!IFSCA ने फंड प्रबंधकों को गिफ्ट सिटी से यूनिट जारी करने की अनुमति देने का रखा प्रस्तावUS टैरिफ के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत, IMF का पूर्वानुमान 6.6%बैंकिंग सिस्टम में नकदी की तंगी, आरबीआई ने भरी 30,750 करोड़ की कमी1 नवंबर से जीएसटी पंजीकरण होगा आसान, तीन दिन में मिलेगी मंजूरीICAI जल्द जारी करेगा नेटवर्किंग दिशानिर्देश, एमडीपी पहल में नेतृत्व का वादाJio Platforms का मूल्यांकन 148 अरब डॉलर तक, शेयर बाजार में होगी सूचीबद्धताIKEA India पुणे में फैलाएगी पंख, 38 लाख रुपये मासिक किराये पर स्टोर

भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ी जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार रहना चाहिए: नीति आयोग

अमेरिका के टैरिफ दबाव के बीच नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा— भारतीय उद्योग जगत को निवेश बढ़ाने की जरूरत, 7-8% विकास दर के लिए कॉरपोरेट भागीदारी अहम।

Last Updated- March 06, 2025 | 11:02 PM IST
Niti Aayog Vice Chairperson Suman Bery

अमेरिका की सरकार भारत पर शुल्क (टैरिफ) और गैर-शुल्क बाधाओं को काफी हद तक कम करने के लिए दबाव बना रही है ऐसे में नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने गुरुवार को कहा कि भारत को अधिक जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि यह एक छोटी खुली अर्थव्यवस्था से अब एक उभरती हुई वैश्विक अर्थव्यवस्था बन चुकी है।

बेरी ने गुरुवार को भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘हम अमेरिकी प्रशासन के साथ हो रहे संवाद में यह देख रहे हैं कि हमसे अधिक अपेक्षा की जा रही है और हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए।’
सरकार के शीर्ष स्तर के प्रतिनिधियों की भावनाओं को जाहिर करते हुए बेरी ने भी इस बात पर निराशा जताई कि भारतीय उद्योग जगत अर्थव्यवस्था में बड़ा निवेश करने को लेकर हिचकिचा रहा है। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट जगत की पूर्ण भागीदारी के बिना देश 7-8 प्रतिशत की वृद्धि नहीं कर सकता है।

बेरी ने कहा, ‘अगर हम कॉरपोरेट कर में कटौती को देखें तो विचार यह था कि इस क्षेत्र को संसाधन दिए जाएं ताकि वे फिर इसे निवेश के साथ शोध एवं विकास (आरऐंडडी) में लगाएं। लेकिन अब तक हमने इसका कोई साक्ष्य नहीं देखा है। वित्त मंत्री ने भी कहा है कि हम निजी उद्यमियों को बाध्य नहीं कर सकते हैं क्योंकि उन पर भी हितधारकों की जिम्मेदारी है लेकिन दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में निराशा है। सीआईआई के सदस्य आदि भी चीन और अमेरिका की तरफ से खतरे का हवाला देते हुए हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।’

बेरी ने कहा कि अपने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को मजबूत बनाने के साथ-साथ दूसरे देशों के एमएसएमई को आकर्षित करने के लिए एक बेहतर माहौल बनाने के लिए लगातार कोशिश करने की जरूरत है।

First Published - March 6, 2025 | 11:02 PM IST

संबंधित पोस्ट