facebookmetapixel
जीएसटी का मूल सिद्धांत फेल, अगर इनपुट टैक्स क्रेडिट सिस्टम नहीं हो सरलब्याज दर में कटौती के आसार बहुत कम: CPI घटा, जीडीपी स्थिर, निवेशक सतर्कग्रामीण ऋण में असमानता: बैंकिंग पहुंच बढ़ी, मगर अनौपचारिक ऋणों पर निर्भरता बरकरारसहारा की फर्म ने संपत्ति बेचने की मंजूरी के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटायाल्यूपिन ने यूरोप में विस्तार के लिए विसुफार्मा बीवी का 19 करोड़ यूरो में अधिग्रहण कियाDell Technologies ने भारत में AI सर्वर और स्टोरेज कारोबार को बढ़ावा देने पर दिया जोरइजरायल के हाइफा ने शहीद भारतीय सैनिकों दी गई श्रद्धांजलि, बताया: ऑटोमन से भारतीयों ने दिलाई आजादीसरकार एलएबी, केडीए के साथ लद्दाख पर बातचीत के लिए हमेशा तैयार: गृह मंत्रालयभारतीय टीम ने एशिया कप जीतने के बाद मोहसिन नकवी के हाथों ट्रॉफी लेने से किया इनकारM&M ने फिनलैंड की सैम्पो रोसेनल्यू को ₹52 करोड़ में टेरा को बेचने का किया ऐलान

भारत 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है: पानगड़िया

पानगड़िया ने जोर देकर कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए श्रम कानूनों में सुधार और बाजार को श्रम साध्य उद्योगों में पूंजी लगाने की आवश्यकता है।

Last Updated- May 17, 2024 | 11:36 PM IST
GDP base year revision: Government considering changing the base year for GDP calculation to 2022-23 जीडीपी गणना के लिए आधार वर्ष को बदलकर 2022-23 करने पर विचार कर रही सरकार

16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पानगड़िया ने शुक्रवार को कहा कि आने वाले वर्षों में भी अगर इसी तरह की वृदि्ध दर बनी रही तो भारत 2026-27 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। हालांकि अर्थव्यवस्था के वित्त वर्ष2027-28 में यह उपलब्धि हासिल करने की उम्मीद अधिक है।

पानगड़िया ने कहा, ‘हम वास्तविक रूप से डॉलर के संदर्भ में बीते 20 वर्षों के दौरान करीब 8 फीसदी की दर से बढ़े हैं। हमने इस बीच वैश्विक आर्थिक संकट और कोविड महामारी का सामना किया। हम वास्तव में जो आजकल जो कुछ देख रहे हैं, उसे बीते दो दशकों में हासिल किया गया है।’

पानगड़िया ने सीआईआई के सालाना कारोबार सम्मेलन में कहा कि भारत ने अत्यधिक गरीबी की स्थिति को लगभग खत्म कर दिया है। लेकिन भारत के कृषि श्रमबल को अब औद्योगिक और सेवा क्षेत्र की तरफ मोड़ने की जरूरत है। पानगड़िया ने जोर देकर कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए श्रम कानूनों में सुधार और बाजार को श्रम साध्य उद्योगों में पूंजी लगाने की आवश्यकता है।

उन्होंने बताया कि भारत की 45 फीसदी आबादी अब भी कृषि कार्य से जुड़ी हुई है जिसका जीडीपी में योगदान केवल 15 फीसदी है। पानगड़िया ने कहा, ‘कृषि में औसत श्रम उत्पादकता अर्थव्यवस्था की औसत उत्पादकता की एक तिहाई है।’

पानगड़िया के अनुसार, ‘अभी भी भारत का श्रम बल इस क्षेत्र में है और यह अपेक्षाकृत रूप से काफी कम उत्पादक है। मैं इसे बेरोजगारी की समस्या कहता हूं। आपको इस श्रम बल को बड़े उद्यम में बदलने के लिए सुविधाएं, मार्ग बनाना होगा।’ उन्होंने कहा कि भारत में आधी से ज्यादा खेती की जमीन आधा एकड़ से भी कम है।

First Published - May 17, 2024 | 11:26 PM IST

संबंधित पोस्ट