अक्टूबर महीने में केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय में लगातार तीसरे महीने कमी आई है जबकि इस दौरान राजस्व व्यय में तेजी आई है। इससे दिसंबर तिमाही में सुस्त अर्थव्यवस्था को सरकार के खर्च से मिलने वाले समर्थन में कमी आ सकती है जब तक कि इस रुझान में कोई बदलाव न आ जाए।
शुक्रवार को महालेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में पूंजीगत व्यय में 8.4 फीसदी की कमी आई जबकि ब्याज भुगतान को छोड़कर राजस्व व्यय में 41.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई। अप्रैल-अक्टूबर अवधि के दौरान, पूंजीगत व्यय में 14.7 प्रतिशत की कमी आई, जबकि राजस्व व्यय में 8.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे कुल खर्च 3.3 प्रतिशत तक बढ़ गया।
सरकारी अधिकारियों ने संकेत दिया है कि केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2025 की अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च) के लिए नकदी प्रबंधन दिशानिर्देशों में छूट दे सकती है, ताकि जो विभाग और मंत्रालय खर्च में पिछड़े हुए हैं वे वित्त वर्ष के लिए आवंटित पूंजीगत खर्च का इस्तेमाल कर सकें। मौजूदा दिशानिर्देशों के मुताबिक मंत्रालयों को मार्च तिमाही के लिए अपने बजट अनुमान के 33 प्रतिशत से अधिक खर्च नहीं करना है और वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने के लिए यह सीमा 15 प्रतिशत है।
सीजीए के आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्र सरकार ने अप्रैल-अक्टूबर अवधि के दौरान वित्त वर्ष 2025 के लिए अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य का 46.5 प्रतिशत पूरा कर लिया है जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 45 प्रतिशत था।
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार चालू वित्त वर्ष में 11.1 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय के लक्ष्य को पूरा नहीं कर सकती है और संभवतः पूंजीगत व्यय में अप्रत्याशित गिरावट त्योहारी सीजन के कारण हो सकती है।
इक्रा लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2025 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए, सरकार को वित्त वर्ष 2025 के नवंबर से मार्च महीने के दौरान हर महीने 1.3 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च करने की जरूरत है जो कि 61 प्रतिशत की जबरदस्त सालाना वृद्धि होगी। पूंजीगत खर्च लक्ष्य में पूर्वानुमानित चूक से विनिवेश और करों के कारण होने वाली किसी भी कमी की भरपाई होने की उम्मीद है।’
सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा लक्ष्य जीडीपी के 4.9 फीसदी के स्तर पर रखा है। अप्रैल-अक्टूबर की अवधि के दौरान कुल राजस्व प्राप्तियां बजट अनुमान के 54.5 फीसदी के स्तर पर रहीं जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 59.6 फीसदी के स्तर पर थी। इनमें से शुद्ध कर राजस्व, बजट अनुमान का 50.5 फीसदी था जो पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान 56 फीसदी था।