पश्चिम एशिया में टकराव बढ़ने के कारण शेयर बाजार से विदेशी फंडों की निकासी जारी रहने और डॉलर की मजबूती की वजह से डॉलर के मुकाबले रुपया नए निचले स्तर पर पहुंच गया। मंगलवार को रुपया गिरकर 83.54 पर बंद हुआ।
स्थानीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले एक दिन के निचले स्तर 83.55 रुपये पर पहुंच गई। इसके पहले दिन के निचले स्तर का रिकॉर्ड 10 नवंबर, 2023 का है, जब डॉलर के मुकाबले रुपया 83.48 पर पहुंचा था। सोमवार को रुपया गिरकर 83.45 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
बाजार के हिस्सेदारों का कहना है कि भूराजनीतिक तनाव का रुपये पर असर पड़ा क्योंकि निवेशकों ने ज्यादा जोखिम वाली संपत्तियों में कम रुचि दिखाई। विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर की बिकवाली करके भारतीय रिजर्व बैंक हस्तक्षेप कर सकता है, जिससे डॉलर के मुकाबले रुपये को और गिरने से बचाया जा सके।
कारोबारियों का कहना है कि पिछला मनोवैज्ञानिक स्तर 83.50 रुपये प्रति डॉलर था, जबकि अब प्रतिरोध का अगला स्तर 83.75 रुपये प्रति डॉलर है। भारत सरकार के बॉन्ड भी कमजोर हुए। 10 साल के बेंचमार्क बॉन्ड का यील्ड बढ़कर करीब 3 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया। अमेरिका में भी बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड बढ़ा है।
भारत के 10 साल के बेंचमार्क बॉन्ड का यील्ड 7.187 प्रतिशत पर बंद हुआ यह 25 जनवरी के बाद का उच्चतम स्तर है। यह इसके पहले के सत्र में 7.178 प्रतिशत पर बंद हुआ था। कोटक सिक्योरिटीज में करेंसी डेरिवेटिव्स ऐंड इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव्स के वीपी अनिंद्य बनर्जी ने कहा, ‘रिजर्व बैंक बाजार में मौजूद था। वह संभवतः 10 से 20 करोड़ डॉलर की बिक्री कर सकता था। ’ उन्होंने कहा, ‘रुपये का कारोबार 83.40 रुपये प्रति डॉलर से 83.75 रुपये प्रति डॉलर के बीच हो सकता है क्योंकि प्रतिरोध 83.75 रुपये प्रति डॉलर के आसपास है।’
एशिया के समकक्षों में भारतीय मुद्रा पांचवीं सबसे स्थिर मुद्रा है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एशिया की मुद्राओं में 0.1 प्रतिशत से लेकर 2 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। इंडोनेशियाई रुपैया डॉलर के मुकाबले सबसे ज्यादा 2 प्रतिशत गिरा है। चालू वित्त वर्ष में रुपया करीब 0.16 प्रतिशत गिरा है।
वहीं इस कैलेंडर वर्ष में अब तक रुपये में 0.4 प्रतिशत की गिरावट हो चुकी है। इसके पहले के वित्त वर्ष में रुपये में 1.5 प्रतिशत गिरावट आई थी। 2023 में डॉलर के मुकाबले रुपये ने उल्लेखनीय स्थिरता दिखाई और इसमें 0.5 प्रतिशत की गिरावट आई। यह पिछले 3 दशक की साल की सबसे कम गिरावट थी।
पिछले कुछ कारोबारी सत्र से रुपये में तेज गिरावट आ रही है। इसकी वजह यह है कि यूरोपियन सेंट्रल बैंद द्वारा दर में कटौती की उम्मीद से अमेरिकी यील्ड बढ़ रहा है, जबकि अमेरिका द्वारा दर में कटौती की संभावना नगण्य है। सीएमई फेडवाच टूल के मुताबिक सिर्फ 24 प्रतिशत ट्रेडर्स को अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा जून में दर में कटौती की उम्मीद है।
इसके पहले दिसंबर में दर में कटौती की उम्मीद टलने के बाद अमेरिका के ट्रेजरी यील्ड में तेजी आई। फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी में कार्यकारी निदेशक और ट्रेजरी के प्रमुख अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘83.50 रुपये प्रति डॉलर का स्तर टूटने के बाद रुपया और कमजोर होकर 83.75 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच सकता है, क्योंकि वैश्विक बाजारों में जोखिम से बचने के रुख के कारण डॉलर मजबूत हो रहा है। साथ ही पश्चिम एशिया में उपजी चिंता के कारण रुपया आने वाले दिनों में और कमजोर होने की ओर बढ़ेगा।’
मंगलवार को डॉलर सूचकांक 0.13 प्रतिशत बढ़कर 106.34 पर पहुंच गया है। यह 6 प्रमुख मुद्राओं के बॉस्केट में डॉलर की मजबूती को दिखाता है। ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत में 0.53 प्रतिशत की तेजी आई है और यह 90.58 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है।