केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में बुधवार को हुई जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में आम जनता को बड़ी राहत देने वाले फैसले लिए गए। काउंसिल ने टैक्स स्ट्रक्चर को आसान बनाते हुए अब सिर्फ दो दरें रखने का निर्णय किया है। इसके साथ ही पर्सनल हेल्थ और जीवन बीमा पॉलिसियों पर से जीएसटी पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। हालांकि, कई विपक्षी शासित राज्यों ने आशंका जताई है कि इन बदलावों से उन्हें करीब 48,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो सकता है। नए रेट 22 सितंबर यानी नवरात्रि के पहले दिन से लागू होंगे।
सामान/सेक्टर | पुरानी जीएसटी दर | नई जीएसटी दर |
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साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट, नमकीन, चॉकलेट, कॉफी | 12% या 18% | 5% |
हस्तशिल्प और कृषि मशीनें (ट्रैक्टर, कम्पोस्ट मशीन) | 12% | 5% |
नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण (बायोगैस प्लांट, विंडमिल) | 12% | 5% |
आम आदमी की जेब को राहत देने के लिए घर-घर इस्तेमाल होने वाले कई सामानों पर टैक्स घटाया गया है। अब साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट, नमकीन, चॉकलेट और कॉफी जैसी चीजों पर सिर्फ 5% जीएसटी लगेगा। पहले इन पर 12% या 18% टैक्स देना पड़ता था। यही नहीं, हस्तशिल्प और कृषि से जुड़ी मशीनों जैसे ट्रैक्टर और कम्पोस्ट मशीन पर भी टैक्स घटाकर 12% से 5% कर दिया गया है। नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण जैसे बायोगैस प्लांट और विंडमिल पर भी अब सिर्फ 5% जीएसटी लगेगा।
सामान/सेगमेंट | पुरानी जीएसटी दर | नई जीएसटी दर |
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छोटी कारें, बसें, ट्रक, एंबुलेंस | 28% | 18% |
मोटरसाइकिल (350cc तक) और ऑटो-रिक्शा | 28% | 18% |
एयर कंडीशनर (AC) | 28% | 18% |
टेलीविज़न | 28% | 18% |
सीमेंट | 28% | 18% |
जीएसटी काउंसिल ने गाड़ियों और इलेक्ट्रॉनिक्स पर भी बड़ा फैसला लिया है। अब छोटी कारें, बसें, ट्रक, एंबुलेंस, 350 सीसी तक की बाइक, ऑटो-रिक्शा, एयर कंडीशनर, टेलीविजन और सीमेंट पर टैक्स घटाकर 28% से 18% कर दिया गया है। इससे गाड़ियों और इलेक्ट्रॉनिक सामान की कीमतें कम होंगी और आम लोगों की पहुंच में आएंगी।
बीमा का प्रकार | पुरानी जीएसटी दर | नई जीएसटी दर |
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पर्सनल हेल्थ बीमा (Health Insurance) | 18% | 0% (जीएसटी माफ) |
पर्सनल जीवन बीमा (Life Insurance) | 18% | 0% (जीएसटी माफ) |
ग्रुप बीमा (Group Insurance) | 18% | 18% (बदलाव नहीं) |
मीटिंग का सबसे बड़ा फैसला यह रहा कि अब पर्सनल हेल्थ और जीवन बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी नहीं लगेगा। पहले इन पर 18% टैक्स देना पड़ता था। हालांकि, ग्रुप इंश्योरेंस पर पहले की तरह 18% जीएसटी लागू रहेगा। सरकार का मानना है कि इस फैसले से आम लोगों को काफी राहत मिलेगी और बीमा लेने के लिए अधिक लोग प्रोत्साहित होंगे।
सामान/सेगमेंट | पुरानी जीएसटी दर | नई जीएसटी दर |
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दूध (UHT) | 5% | 0% (जीएसटी माफ) |
पनीर | 5% | 0% (जीएसटी माफ) |
भारतीय ब्रेड (रोटी, पराठा आदि) | 5% | 0% (जीएसटी माफ) |
कैंसर और रेयर डिसीज की दवाइयां (33 ज़रूरी मेडिसिन्स) | 12% | 0% (जीएसटी माफ) |
लोगों की जरूरत की चीजों को देखते हुए सरकार ने दूध (UHT), पनीर और सभी भारतीय ब्रेड जैसे रोटी और पराठा पर से भी जीएसटी हटा दिया है। पहले इन पर 5% टैक्स लगता था। इसके अलावा कैंसर और रेयर डिसीज की दवाइयों समेत 33 जरूरी लाइफ-सेविंग मेडिसिन्स पर से भी टैक्स पूरी तरह हटा दिया गया है। पहले इन पर 12% जीएसटी वसूला जाता था।
सामान/सेगमेंट | पुरानी जीएसटी दर | नई जीएसटी दर |
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पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, बीड़ी, अन्य तंबाकू उत्पाद | 28% + सेस | 40% (रिटेल प्राइस पर) |
बड़ी गाड़ियां | 28% | 40% |
मोटरसाइकिल (350cc से ऊपर) | 28% | 40% |
पर्सनल एयरक्राफ्ट | 28% | 40% |
एनर्जी ड्रिंक और कार्बोनेटेड ड्रिंक | 28% | 40% |
जहां आम आदमी को राहत दी गई है, वहीं तंबाकू और लग्जरी सामान पर सरकार ने सख्ती दिखाई है। पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, बीड़ी और सभी तंबाकू उत्पादों पर अब 40% जीएसटी लगाया जाएगा। यही नहीं, बड़ी गाड़ियां, 350 सीसी से ऊपर की बाइक, पर्सनल एयरक्राफ्ट, एनर्जी ड्रिंक और कार्बोनेटेड ड्रिंक भी इस कैटेगरी में शामिल होंगे। खास बात यह है कि अब तंबाकू उत्पादों पर जीएसटी ट्रांजैक्शन वैल्यू की बजाय खुदरा मूल्य (रिटेल प्राइस) के आधार पर वसूला जाएगा।
मीटिंग में कर्नाटक, पंजाब, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और सिक्किम जैसे राज्यों ने चिंता जताई कि 12% और 28% वाले स्लैब खत्म होने से उनकी कमाई पर असर पड़ेगा। उन्होंने केंद्र से मांग की कि राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए कोई स्पष्ट व्यवस्था बनाई जाए। हालांकि, सरकार का कहना है कि दरें घटने से लोगों की खपत बढ़ेगी, टैक्स अनुपालन बेहतर होगा और विवाद कम होंगे। वित्त सचिव अरविंद श्रीवास्तव ने अनुमान जताया कि इसका वित्तीय असर करीब 48,000 करोड़ रुपये का होगा, लेकिन लंबी अवधि में यह अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा।
केपीएमजी में इनडायरेक्ट टैक्स हेड और पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि इंटरमीडियरी सर्विसेज को एक्सपोर्ट का दर्जा देने से इस बात पर चल रहा विवाद खत्म हो जाएगा कि कौन-सी सेवा को इंटरमीडियरी माना जाए। इससे रिफंड रिजेक्शन (रिफंड न मिलने) के मामलों में भी कमी आएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि पोस्ट-सेल डिस्काउंट से जुड़े नियमों में बदलाव से लंबे समय से चल रहा बड़ा विवाद खत्म होगा। वहीं, कंपनसेशन सेस (अतिरिक्त टैक्स) को खत्म करना जीएसटी के मूल ढांचे की वापसी है। यह कदम टैक्स सिस्टम को और सरल व स्थिर बनाने की दिशा में एक अहम सुधार है।
एडेलवाइस एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड प्रेसिडेंट और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर- इक्विटीज त्रिदीप भट्टाचार्य कहते हैं, जीएसटी 2.0 भारत की खपत कहानी के लिए एक बड़ा बदलाव है। इसमें आम लोगों की जरूरत की चीजों पर टैक्स घटाया गया है और गैर-जरूरी या नुकसानदायक चीजों (sin goods) पर टैक्स बढ़ाया गया है। इससे रोजमर्रा के सामान, टिकाऊ सामान और गाड़ियों की बिक्री बढ़ेगी। इसका असर आने वाले समय में शेयर बाजार की दिशा और नेतृत्व पर भी दिखेगा।