वित्त वर्ष 24 की पहली छमाही में भारत की सकल कर प्राप्तियां पिछले साल की समान अवधि में 16.3 प्रतिशत बढ़कर 16.19 लाख करोड़ रुपये हो गई हैं। इसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों कर शामिल होता है। कर संग्रह में तेजी अगस्त के बाद से जारी है, जिसकी प्रमुख वजह वित्त वर्ष के शुरुआती कुछ महीनों में दबाव के बाद अब कॉर्पोरेशन कर में आई तेजी है।
लेखा महानियंत्रक (सीजीए) की ओर से मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान शुद्ध कर राजस्व 11.6 लाख करोड़ रुपये या बजट लक्ष्य का 49.9 प्रतिशत रहा है। वित्त वर्ष 23 में शुद्ध कर संग्रह साल के बजट अनुमान का 52.3 प्रतिशत था।
सितंबर महीने में शु्द्ध कर संग्रह 3.56 लाख करोड़ रुपये रहा है। कॉर्पोरेशन कर में इस दौरान 26.6 प्रतिशत वृद्धि हुई और यह 2.12 लाख करोड़ रुपये रहा है। वहीं व्यक्तिगत आकर 15.6 प्रतिशत बढ़कर 91,247 करोड़ रुपये रहा है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘सितंबर 2023 में कॉर्पोरेशन कर संग्रह में 27 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ अग्रिम कर की आवक तेज रही है। यह 2024 के बजट अनुमान का करीब 49 प्रतिशत है। यह उत्साहवर्धक है। बहरहाल वित्त वर्ष 24 की पहली छमाही में व्यक्तिगत आयकर के लक्ष्य का आधा हासिल किया जा चुका है।’
हालांकि केंद्र का राजकोषीय घाटा पहली छमाही के दौरान सितंबर तक बढ़कर पूरे साल के लक्ष्य के 39.9 प्रतिशत को छू गया है, जो एक साल पहले के 37.3 प्रतिशत की तुलना में कुछ ज्यादा है। कुल मिलाकर इस अवधि के दौरान राजस्व के आय व व्यय का अंतर बढ़कर 7.02 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जिसे राजकोषीय घाटा कहा जाता है।
सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान राजकोषीय घाटा कम करके सकल घरेलू उत्पाद का 5.9 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है। 2022-23 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.4 प्रतिशत रहा था, जो पहले 6.71 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
व्यय की स्थिति देखें तो पूंजीगत व्यय में तेजी जारी है। निवेश पर व्यय अप्रैल सितंबर के दौरान 43.1 प्रतिशत बढ़कर 4.91 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो पूंजीगत व्यय के लक्ष्य का 49 प्रतिशत है। 2023-24 में कुल व्यय बजट अनुमान का 47.1 प्रतिशत रहा है।