वित्त वर्ष 2026 का बजट प्रस्तुत करने से पहले वित्त मंत्रालय ने 2024-25 की पहली छमाही समीक्षा में कहा है कि अगले वित्त वर्ष में सरकार का जोर सार्वजनिक व्यय की गुणवत्ता बढ़ाने पर रहेगा। साथ ही सरकार गरीबों और जरूरतमंदों के लिए सामाजिक सुरक्षा का दायरा भी मजबूत करेगी।
मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में आय तथा व्यय के रुझानों का ब्योरा 20 दिसंबर को संसद में पेश किया था। आज इसे जारी किया गया, जिसमें मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार राजकोषीय घाटे को वित्त वर्ष 2026 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.5 फीसदी से कम कर खजाने को मजबूत करने की मुहिम जारी रखेगी। छमाही समीक्षा में कहा गया है कि इससे देश का वृहद आर्थिक ढांचा मजबूत करने तथा पूर्ण वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 का बजट तब पेश किया गया था, जब यूरोप एवं पश्चिम एशिया में युद्ध के कारण दुनिया भर में अनिश्चितता पसरी हुई थी। उसने कहा कि भारत की तगड़ी वृहद आर्थिक बुनियाद ने देश को उन अनिश्चितताओं से बचने का साधन दिया, जिन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है। यही वजह है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। मगर वृद्धि के लिए जोखिम अभी बने हुए हैं।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6 फीसदी रहने का अनुमान है और सकल मूल्य वर्द्धन में इस दौरान 6.2 फीसदी बढ़ोतरी का अनुमान जताया जा रहा है। राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम 2003 के अनुसार मध्यावधि व्यय व्यवस्था ब्योरा संसद में पेश करना जरूरी है। मगर वित्त मंत्रालय ने 2024 के लिए यह ब्योरा पेश नहीं किया ताकि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच अपनी राजकोषीय नीति लागू करने के लिए उसके पास पर्याप्त गुंजाइश रहे।
जुलाई में वित्त वर्ष 2025 का बजट पेश करते समय सरकार ने संसद को बताया था कि वित्त वर्ष 2026 और 2027 के लिए कोई लक्ष्य तय नहीं किए गए हैं क्योंकि अभूतपूर्व वैश्विक अनिश्चितताएं बनी रहने के कारण छोटी या मझोली अवधि में आय एवं व्यय के सही अनुमान लगाना आसान नहीं है। उस बजट अनुमान में राजकोषीय घाटा करीब 16.13 लाख करोड़ रुपये अथवा जीडीपी का 4.9 फीसदी आंका गया था। इसकी भरपाई के लिए बाजार से 11.13 लाख करोड़ रुपये जुटाने और बाकी 5 लाख करोड़ रुपये अन्य स्रोतों से निकालने की योजना बनाई गई थी।
पहली छमाही में कर राजस्व बजट अनुमान का 49 फीसदी रहा जो पिछले पांच वर्षों के औसत बजट अनुमान 45.3 फीसदी के मुकाबले अधिक है। इस दौरान गैर-कर राजस्व भी बजट अनुमान का 65.5 फीसदी रहा, जो पिछले पांच वर्षों के औसत बजट अनुमान 58.7 फीसदी के मुकाबले अधिक है। मगर पहली छमाही में पूंजीगत व्यय 37.3 फीसदी दर्ज किया गया जो पिछले पांच वर्षों के औसत बजट अनुमान 46.4 फीसदी से कम है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 में केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय 11.1 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य से करीब 1 लाख करोड़ रुपये कम रह जाएगा। यह रकम विनिवेश और कर संग्रह में होने वाली कमी की भरपाई कर देगी।