वर्तमान वित्त वर्ष के पहले पांच महीने (अप्रैल से अगस्त) में राजकोषीय घाटा 4.35 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया जो बजट अनुमान का 27 फीसदी है। यह जानकारी लेखा महानियंत्रक के हालिया आंकड़ों में दी गई। बीते साल की इस अवधि में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान का 36 फीसदी था। राजकोषीय घाटा व्यय और राजस्व के बीच का अंतर होता है।
सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद का 4.9 फीसदी निर्धारित किया है। इक्रा लिमिटेड में शोध व आउटरीच की मुख्य अर्थशास्त्री व प्रमुख अदिति नायर ने कहा, ‘हमारा मानना है कि पूंजीगत व्यय लक्ष्य में चूक से विनिवेश और करों के कारण होने वाली कमी को पूरा करने के लिए कुछ सहायता मिल सकती है।
इक्रा का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025 में राजकोषीय घाटा दायरे में रहेगा या वित्त वर्ष 2025 के संशोधित बजट अनुमान 16.1 लाख करोड़ रुपये से कम या सकल घरेलू उत्पाद का 4.9 फीसदी रहेगा।’ इस अवधि में शुद्ध कर प्राप्तियां 8,73,845 करोड़ रुपये थीं जो कि सालाना बजट अनुमान का 33.8 फीसदी है।
कुल व्यय 16,52,354 करोड़ रुपये था। यह व्यय बजट अनुमान से 34.3 फीसदी कम है, जबकि यह बीते साल इसी अवधि में बजट अनुमान का 37.1 फीसदी था। मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले पांच महीनों में पूंजीगत व्यय – भौतिक आधारभूत ढांचे पर खर्च – 3,00,987 करोड़ रुपये या बजट अनुमान का 27.1 फीसदी था।
हालांकि बीते साल की इस अवधि में यह 37.4 फीसदी था। इस वित्तीय वर्ष के पहले पांच महीनों में सरकार का पूंजीगत व्यय 3.01 लाख करोड़ रुपये या सालाना बजट का 27 प्रतिशत था जबकि यह बीते साल की अवधि में 3.74 लाख करोड़ रुपये था।