वृद्धि को गति देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय बढ़ाए जाने और बुनियादी ढांचे पर खर्च की समीक्षा किए जाने की उम्मीद है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सरकार विभिन्न क्षेत्रों की उन परियोजनाओं का अध्ययन करेगी, जिसमें पूंजीगत व्यय बढ़ाया जा सकता है। इसमें सिर्फ रेलवे व राजमार्ग ही नहीं बल्कि पोत निर्माण, बंदरगाह व अन्य क्षेत्र भी शामिल हैं। एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘सरकार पूंजीगत व्यय की गति बनाए रखेगी। यह महत्त्वपूर्ण प्राथमिकता है।’
वित्त मंत्रालय ज्यादा पूंजीगत व्यय करने वाले , सड़क, राजमार्ग व परिवहन मंत्रालयों सहित विभिन्न मंत्रालयों के साथ चर्चा करेगा और जानने की कवायद करेगा कि वे इस वित्त वर्ष में और कितनी परियोजनाओं पर काम कर सकते हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि इस वित्त वर्ष में अप्रैल-मई के दौरान केंद्र सरकार द्वारा अधिक पूंजीगत व्यय को देखते हुए यह संभावना बनती है कि पूंजीगत व्यय 11.2 लाख करोड़ रुपये बजट अनुमान को पार कर जाएगा।
सरकार जहाज निर्माण और बंदरगाह क्षेत्र में किए जा रहे क्षमता निर्माण का अध्ययन करेगी, जो पूंजीगत व्यय के लिए एक अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। महा लेखा नियंत्रक (सीजीए) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2026 में अप्रैल मई के दौरान सरकार के पूंजीगत व्यय में पिछले साल की तुलना में 54 प्रतिशत वृद्धि हुई है। पिछले साल इस दौरान चुनावों के कारण पूंजीगत व्यय कम रहा था।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि प्राप्तियां अधिक होने की वजह से सरकार वित्त वर्ष 2026 में पूंजीगत व्यय 0.8 लाख करोड़ रुपये बढ़ा सकती है, जो पिछले साल की तुलना में 14.2 प्रतिशत वृद्धि होगी। वित्त वर्ष 2026 में अप्रैल मई के दौरान रेल मंत्रालय ने बजट अनुमान का 21 प्रतिशत यानी 52,073 करोड़ रुपये खर्च कर दिया है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में बजट अनुमान का 20 प्रतिशत खर्च किया था। इस दौरान भारी पूंजीगत व्यय करने वाले एक और मंत्रालय, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 59,638.58 करोड़ रुपये खर्च किया है, जो बजट अनुमान का 22 प्रतिशत है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में मंत्रालय ने बजट अनुमान का 21 प्रतिशत खर्च किया था। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘अगर पूंजीगत व्यय बढ़ाने के लिए राजकोषीय गुंजाइश हो, तो यह उचित है। निजी क्षेत्र का निवेश नहीं बढ़ रहा है, इसलिए सरकार को पूंजीगत व्यय बढ़ाना होगा और भारी काम करना होगा। रेल और सड़क के अलावा, रक्षा क्षेत्र भी पूंजीगत व्यय बढ़ाने का एक और प्रमुख क्षेत्र हो सकता है।’
भारतीय रिजर्व बैंक ने बजट अनुमान से ज्यादा लाभांश दिया है, जिससे वित्त वर्ष 2026 में अप्रैल-मई के दौरान राजकोषीय घाटा 131.6 अरब रुपये या वित्त वर्ष 2026 के बजट अनुमान की तुलना में 0.8 प्रतिशत कम हो गया है। सीजीए के आंकड़ों के अनुसार राजस्व के लिहाज से सरकार ने वित्त वर्ष 2026 में अप्रैल-मई के दौरान सालाना आधार पर कर में 10 प्रतिशत और रिजर्व बैंक के लाभांश के कारण गैर-कर राजस्व में 41.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है।