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वित्त मंत्रालय की समीक्षा: शहरी मांग में नरमी, AI और मुद्रास्फीति पर निगरानी की जरूरत

खाद्यान्न का पर्याप्त बफर स्टॉक और खरीफ फसल में भारी पैदावार से कीमतों पर कम होगा दबाव

Last Updated- October 28, 2024 | 9:27 PM IST
Finance Ministry

वित्त मंत्रालय ने आज अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा कि उपभोक्ता धारणा में नरमी और सामान्य से अधिक बारिश के कारण लोगों की सीमित आवाजाही के बीच शहरी मांग में आई नरमी पर नजर रखने की जरूरत है। साथ ही यह भी कहा है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के कारण कामगारों की नौकरियां खत्म होने से संबंधित कयास पर आधारित रिपोर्टों पर भी निगाह रखने की जरूरत है।

समीक्षा में कहा गया है कि भू-राजनीतिक संघर्ष बढ़ने, भू-आर्थिक बिखराव और कुछ वित्तीय बाजारों में अधिक मूल्यांकन के कारण परिसंपत्ति पर कुछ नकारात्मक प्रभाव दिख सकते हैं। इससे परिवारों की धारणा प्रभावित हो सकती है और भारत में कंज्यूमर ड्यूरेबल पर खर्च करने का उनका इरादा बदल सकता है।

सितंबर महीने की रिपोर्ट में कहा गया है कि आगे चलकर खाद्यान्न के पर्याप्त बफर स्टॉक और खरीफ फसल से जबरदस्त पैदावार की उम्मीद से कीमतों पर दबाव कम होने के आसार हैं।

समीक्षा में कहा गया है कि कुछ सब्जियों की कीमतों में तेज वृद्धि को छोड़ दिया जाए तो मुद्रास्फीति काफी हद तक नियंत्रण में है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति को लेकर परिवारों और कारोबारियों की उम्मीदों में नरमी दिख रही है। भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय प्रबंध संस्थान, अहमदाबाद के सर्वेक्षणों से भी ऐसा ही संकेत मिलता है।

समीक्षा में कहा गया है, ‘कुछ खाद्य वस्तुओं से प्रभावित होने वाली शीर्ष मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था में मौजूद मांग का आकलन करने का सबसे सटीक पैमाना नहीं हो सकती है।’ वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति 4.6 फीसदी रही जो एक साल पहले की समान अवधि में 5.5 फीसदी रही थी।

जहां तक शहरी मांग का सवाल है तो मासिक समीक्षा में कहा गया है कि त्योहारी सीजन और उपभोक्ता धारणा में सुधार होने से आगे शहरी इलाकों में मांग को बढ़ावा मिल सकता है मगर शुरुआती संकेत अधिक उत्साहजनक नहीं थे। मगर वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि रोजमर्रा के उपभोग की वस्तुओं की बिक्री बढ़ने और तिपहिया एवं ट्रैक्टरों की बिक्री में तेजी से पता चलता है कि ग्रामीण मांग में सुधार हो रहा है।

वित्त मंत्रालय ने कहा है कि चालू वित्त में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.5 से 7 फीसदी के दायरे में रहने का अनुमान है। इसे मुख्य तौर पर बाहरी क्षेत्र में स्थिरता, सकारात्मक कृषि परिदृश्य, त्योहारी सीजन से मांग में दम और सरकारी खर्च में वृद्धि के कारण निवेश गतिविधियों में तेजी से बल मिलेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि विनिर्माण की रफ्तार में कुछ नरमी दिखी है जबकि विनिर्माण पर आरबीआई के सर्वेक्षण में आगामी तिमाहियों के दौरान कारोबारी अपेक्षाओं में सुधार होने के संकेत दिए गए हैं। विनिर्माण के लिए पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स घटकर सितंबर में 56.5 रह गया था।

First Published - October 28, 2024 | 9:27 PM IST

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