वित्त मंत्रालय ने कहा है कि नीतिगत स्थिरता और निरंतरता बरकरार रखकर भारत के किसानों को नई तकनीक व गतिविधियां अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। इससे किसान अपने बाजार और उपज के चयन का विकल्प बढ़ा सकेंगे। साथ ही इससे व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता और मांग पर भी ध्यान रखा जा सकेगा।
मंत्रालय की समीक्षा में फसलों की किस्म में सुधार, तकनीक की स्वीकार्यता और कृषि गतिविधियों में लगातार नवोन्मेश की जरूरत पर जोर दिया गया है, जिससे बढ़ती मांग पूरी की जा सके और विविध व पौष्टिक भोजन की जरूरतें पूरी हो सकें।
समीक्षा में कहा गया है, ‘नीति में स्थिरता और निरंतरता से किसानों के उत्पादन के विकल्प और बाजार के विस्तार में मदद मिलेगी और साथ ही इससे पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र पर ध्यान रखने के साथ प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता और मांग को ध्यान में रखते हुए किया जा सकेगा। इससे किसानों को नई प्रौद्योगिकी और व्यवहार अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी।’
वहीं वित्त मंत्रालय की समीक्षा में यह भी कहा गया है कि कृषि क्षेत्र की वित्त वर्ष 24 में भारत के जीवीए में 18 प्रतिशत हिस्सेदारी रहने की संभावना है और देश की अर्थव्यवस्था में इसकी अहम भूमिका है। रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्वास्थ्य संकट और जलवायु की स्थितियों जैसी चुनौतियों के बावजूद कृषि क्षेत्र ने भारत की आर्थिक रिकवरी में अहम भूमिका निभाई है।
समीक्षा में कहा गया है, ‘वित्त वर्ष 2015 से वित्त वर्ष 2023 के बीच कृषि क्षेत्र की औसत सालाना वृद्धि दर 3.7 प्रतिशत रही है, जो वित्त वर्ष 2005 से वित्त वर्ष 2014 के बीच 3.4 प्रतिशत थी। वित्त वर्ष 2023 में यह क्षेत्र पहले के साल की तुलना में 4 प्रतिशत बढ़ा है।’
वित्त वर्ष 2024 के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक कृषि और संबंधित क्षेत्र का जीवीए 7 साल के निचले स्तर 1.8 प्रतिशत पर रहने की संभावना है, क्योंकि खरीफ का उत्पादन घटा है और रबी की शुरुआती बोआई सुस्त रही है।
इसके अलावा 2023 में असमान मॉनसून के कारण पौधरोपण पर असर पड़ा है। समीक्षा में कहा गया है, ‘कृषि उत्पादों में भारत की वैश्विक धमक बढ़ रही है। भारत इस समय दूध, दलहन और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है।
बेहतर नीतियों और अवसर उपलब्ध होने के कारण भारत के किसानों ने शेष दुनिया की खाद्य जरूरतों को पूरा करने में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। इस क्षेत्र में अभी व्यापक संभावनाएं बनी हुई हैं।’ समीक्षा में यह भी कहा गया है कि नरेंद्र मोदी सरकार की विभिन्न नीतिगत पहल के बारे में भी जानकारी दी गई है, जो 2014 के बाद की गई है और उसका किसानों पर सकारात्मक असर पड़ा है।
समीक्षा में कहा गया है, ‘प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (पीएम-केएमवाई), प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) ने किसानों को वित्तीय समर्थन प्रदान करने व उनकी आमदनी बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।’
इसमें कहा गया है कि 2019 में शुरू की गई पीएम-किसान योजना से खेतिहर किसानों की वित्तीय जरूरतें पूरी हुई हैं और इसके तहत 4 मासिक किस्तों में सालाना 6,000 रुपये हस्तांतरित किए जा रहे हैं।