नीदरलैंड, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने वित्त वर्ष 2023-24 के पहले सात महीनों (अप्रैल-अक्टबूर) में भारत के निर्यात को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। ये तीनों देश भारत के शीर्ष 10 निर्यात गंतव्यों में भी शामिल हैं।
वाणिज्य मंत्रालय के प्राथमिक आंकड़ों के मुताबिक इनके अलावा भारत के 10 शीर्ष निर्यात गंतव्य वाले ज्यादातर देशों को निर्यात नकारात्मक दायरे में रहा। इस अवधि के दौरान चीन को भेजे जाने वाली खेपें 0.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ सुस्त बनी रहीं।
भारत का कुल निर्यात अगस्त (3.8 प्रतिशत) और अक्टूबर (6.2 प्रतिशत) में सकारात्मक रूप से बढ़ा। इस वृद्धि को वाणिज्य मंत्रालय ने बदलाव का संकेत करार दिया है। हालांकि अप्रैल से अक्टूबर की अवधि के दौरान निर्यात 7 प्रतिशत कम हुआ।
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने बीते महीने वर्ष 2023 के वाणिज्यिक निर्यात के वृद्धि के अनुमान को आधे से अधिक घटा दिया था।
डब्ल्यूटीओ ने अप्रैल में 1.7 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया था लेकिन वस्तुओं के कारोबार में निरंतर गिरावट जारी रहने के कारण बीते महीने 0.8 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया था। हालांकि विश्व कारोबार निकाय ने 2024 के लिए वाणिज्यिक वस्तुओं के वृद्धि के अनुमान को 3.2 प्रतिशत से थोड़ा सा बढ़ाकर 3.3 प्रतिशत कर दिया।
बहरहाल अक्टूबर के अलग अलग आंकड़े मौजूद नहीं हैं लेकिन अप्रैल-सितंबर के अलग –अलग आंकड़े उपलब्ध हैं। इसके अनुसार भारत ने ऑस्ट्रेलिया को प्रमुख तौर पर पेट्रोलियम उत्पादों (2.8 अरब डॉलर) और खुदरा बिक्री के लिए दवाई (18.8 करोड डॉलर) का निर्यात किया।
भारत ने अप्रैल से सितंबर के दौरान यूके को प्रमुख तौर पर पेट्रोलियम उत्पादों (74.3 करोड़ डॉलर), स्मार्टफोन (49.4 करोड़ डॉलर) और दवाई की खुदरा बिक्री के लिए दवाएं (26.1 करोड़ डॉलर) और टर्बो जेट (21.1 करोड़ डॉलर) का निर्यात किया था। यूरोपियन यूनियन को खेप भेजने में नीदरलैंड की प्रमुख भूमिका रही।
रूस-यूक्रेन यूद्ध के बाद यूरोपीय देशों ने भारत से 5.6 अरब डॉलर के पेट्रोलियम उत्पाद मंगाए। इसके अलावा नीदरलैंड को स्मार्टफोन (48.4 करोड़ डॉलर), खुदरा बिक्री के लिए दवाई (16.15 करोड़ डॉलर) और एल्यूमीनियम (15.9 करोड़) का निर्यात किया गया था।