कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) वेतन की न्यूनतम सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर और अधिक करने पर विचार कर रहा है। इस कदम से इसका दायरा बढ़ेगा और अनौपचारिक क्षेत्र के करोड़ों मजदूरों को इस दायरे में लाया जा सकेगा। न्यूनतम वेतन सीमा में पिछली बढ़ोतरी 2014 में हुई थी, जब इसे 6,500 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये कर दिया गया था।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठकों का ब्योरा देखा है, जिसके अनुसार यह मुद्दा लगातार सीबीटी बैठकों में चर्चा का विषय रहा है। केंद्रीय न्यासी बोर्ड ईपीएफओ के लिए फैसले लेने वाला शीर्ष निकाय है।
सीबीटी में कर्मचारी प्रतिनिधियों में से एक शंकरी मल्लेशम ने इस साल फरवरी में बोर्ड द्वारा 29 करोड़ से अधिक ग्राहकों के लिए ब्याज दर तय करने के लिए हुई बैठक में यह सुझाव दिया था, ‘केंद्र सरकार द्वारा तय किया गया न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये है, लेकिन 2014 से हमारी वेतन सीमा 15,000 रुपये ही है। इससे ठेके या संविदा पर काम करने वाले कई कामगार सामाजिक सुरक्षा लाभ से वंचित रह जाते हैं। मेरा प्रस्ताव है कि वेतन सीमा बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दी जाए।’
बोर्ड में कर्मचारियों के एक अन्य प्रतिनिधि प्रभाकर जे बाणासुरे ने भी अक्टूबर की बैठक में न्यूनतम वेतन सीमा बढ़ाकर 25,000 रुपये करने का सुझाव दिया था। उनका तर्क था कि कई राज्यों में न्यूनतम वेतन 22,000 रुपये से 25,000 रुपये के दायरे में है।
उन्होंने कहा, ‘भविष्य निधि के फायदों से वंचित कई कामगारों को इसके दायरे में लाने में मदद मिलेगी।’ बाणासुरे का कहना था कि ये फायदे कई कंपनियों खास तौर पर सीमेंट कंपनियों के कर्मचारियों को मिलेंगे।