मार्गन स्टैनली के मुताबिक 2022-23 में भारत सबसे तेज बढ़ती एशियाई अर्थव्यवस्था हो सकता है। मार्गन स्टेनली के विश्लेषकों का अनुमान है कि इस अवधि के दौरान भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि का औसत 7 प्रतिशत रहेगा, जो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे मजबूत वृद्धि दर होगी और एशियाई व वैश्विक वृद्धि में इसका योगदान क्रमशः 28 प्रतिशत और 22 प्रतिशत होगा।
उनका कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर एक दशक से ज्यादा समय की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने को तैयार है, क्योंकि मांग में गिरावट का दौर अब खत्म हो चुका है। मार्गन स्टैनली में चीफ एशिया इकोनॉमिस्ट चेतन आह्या ने साथ में मिलकर लिखे एक नोट में कहा है, ‘हम कुछ समय के लिए चक्रीय और संरचनात्मक दोनों हिसाब से भारत के दृष्टिकोण पर रचनात्मक रहे हैं। हाल के मजबूत आंकड़ों से हमारा भरोसा बढ़ा है कि भारत घरेलू मांग पूरी करने की दिशा में बेहतर स्थिति में है, जो खासकर विकसित बाजार की वृद्धि की कमजोरियों के कारण एशिया से बाहरी मांग की स्थिति को देखते हुए अहम है।’
आह्या के मुताबिक भारत की ढांचागत कहानी में मुख्य बदलाव नीतियों पर ध्यान को लेकर है, जिससे अर्थव्यवस्था की उत्पादक क्षमता बढ़ रही है। उन्होंने लिखा है कि नीति निर्माताओं ने गंभीर सुधार के लिए कदम उठाए हैं, जो निजी पूंजीगत व्यय चक्र को ऊपर उठाने का काम करेगा और इससे मजबूत उत्पादकता की स्थिति तैयार करने में मदद मिलेगी।
इस आशावाद का बड़ा हिस्सा जिंसों के दाम में गिरावट से जुड़ी है, खासकर कच्चे तेल के दाम से। मार्च के शीर्ष स्तर के बाद कच्चे तेल/जिंसों की कीमत 23 से 37 प्रतिशत कम हुई है। इसे देखते हुए मॉर्गन स्टैनली का कहना है कि वृहद स्थिरता संकेतक आरामदायक स्थिति की ओर बढ़ेंगे और ऐसे में संभवतः भारतीय रिजर्व बैंक दरों में आक्रामक बढ़ोतरी नहीं करेगा।