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ब्याज दरों को स्थिर रखने का फैसला, लेकिन दर में और कटौती की गुंजाइश

समिति के सभी सदस्यों ने नीतिगत रीपो रेट 5.5 प्रतिशत रखने के लिए मतदान किया। वहीं 2 सदस्यों- राम सिंह और नागेश कुमार का कहना था कि रुख बदलकर तटस्थ किया जाना चाहिए

Last Updated- October 16, 2025 | 2:43 AM IST
RBI

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने अक्टूबर की समीक्षा बैठक में ब्याज दरों को स्थिर रखने का फैसला किया, लेकिन दर में आगे और कटौती की गुंजाइश को स्वीकार किया है। साथ ही रिजर्व बैंक पिछले कदमों के पूरे प्रभाव का इंतजार कर रहा है। बैंकिंग नियामक का मकसद भविष्य की कार्रवाइयों का अधिकतम लाभ हासिल करना है।

समिति के सभी सदस्यों ने नीतिगत रीपो रेट 5.5 प्रतिशत रखने के लिए मतदान किया। वहीं दो सदस्यों- राम सिंह और नागेश कुमार का कहना था कि रुख बदलकर तटस्थ किया जाना चाहए।

बुधवार को जारी बैठक के ब्योरे में रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि वर्तमान आकलन के मुताबिक वृद्धि मजबूत है, लेकिन इसका परिदृश्य नरम है और अपेक्षाओं से कम होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि समग्र और मुख्य महंगाई दर अनुकूल रहने पर वृद्धि दर को समर्थन देने के लिए नीतिगत ढील दिए जाने की संभावना है।

उन्होंने कहा, ‘भले ही नीतिगत दर और कम करने के लिए संभावनाएं हैं, लेकिन मुझे लगता है कि इसके लिए यह उपयुक्त समय है, क्योंकि इसका वांछित प्रभाव नहीं होगा।’डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने भी स्वीकार किया कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में उम्मीद से कम अपेक्षित वृद्धि और महंगाई दर ने आगे नीतिगत दर कम करने की संभावना बनाई है।

एक अन्य आंतरिक सदस्य इंद्रनील भट्टाचार्य ने अपनी पहली समीक्षा बैठक में कहा कि महंगाई दर में तेज गिरावट के कारण आगे के लिए नीतिगत दर कम करने की संभावना बनी है।

यथास्थिति बनाए रखने को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा, ‘बाजार को दर में कटौती की कोई उम्मीद नहीं है।  ऐसे में दर घटाए जाने से बाजार आश्चर्यचकित होगा, जो मध्यम अवधि में पॉलिसी विश्वसनीयता के मामले में हानिकारक है।’बाहरी सदस्य राम सिंह ने तर्क दिया कि समावेशी रुख रिजर्व बैंक को खाद्य कीमतों या बाहरी मोर्चे पर अप्रत्याशित स्थिति में आगे की कटौती में देरी करने या रोकने के लिए लचीलापन देता है, जबकि दर में कटौती के चक्र को लंबा करने पर जोर दिया जाता है।

सिंह ने कहा, ‘रुख को बदलकर समावेशी करने से रुख में नरमी के साथ दर में कटौती की संभावना बढ़ती है।’

इसी तरह नागेश कुमार भी समावेशी रुख का पक्ष लिया। उन्होंने कहा, ‘हम तटस्थ से समावेशी रुख करके उद्योग, निवेश और विकास का समर्थन करने के लिए मौद्रिक नीति की तत्परता का संकेत देना चाहेंगे।’ यथास्थिति और तटस्थ रुख का समर्थन करने वाले बाहरी सदस्य सौगात भट्टाचार्य ने कहा कि महंगाई दर में नरमी नीतिगत दर में कटौती की आकर्षक वजह नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘नीतिगत दर की रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2027 में औसतन 4.5 प्रतिशत महंगाई दर रखने का अनुमान लगाया गया है, जिसमें वित्त वर्ष 2027 की पहली और दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में 5.1 प्रतिशत का अनुमान है। इसमें सामान्य मॉनसून और किसी बाहरी झटके के न आने की परिकल्पना की गई है।

First Published - October 15, 2025 | 10:58 PM IST

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