सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में प्रधानमंत्री जन धन योजना के निष्क्रिय खातों की संख्या बढ़ गई है। सितंबर, 2025 के अंत में निष्क्रिय जन धन खातों की संख्या बढ़कर 26 प्रतिशत हो गई। हालांकि यह बीते साल के इस महीने में 21 प्रतिशत थी। सरकारी अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि सरकार की वित्तीय समायोजन की महत्त्वाकांक्षी योजना में सक्रिय खातों की संख्या और कम हो सकती है।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सितंबर 2025 तक जन धन खातों की कुल संख्या 54.55 करोड़ थी। इनमें 14.28 करो़ड़ खाने निष्क्रिय थे। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए वित्त वर्ष 26 में 2 करोड़ नए जनधन खाते खोलने का लक्ष्य है। इनमें 1.32 करोड़ खाते सितंबर तक खोल दिए गए थे।’
बड़े बैंकों में सर्वाधिक निष्क्रिय जन धन खाते बैंक ऑफ इंडिया (33 प्रतिशत) और यूनियन बैंक (32 प्रतिशत) में दर्ज किए गए थे। हालांकि इंडियन ओवरसीज बैंक (8 प्रतिशत) और पंजाब ऐंड सिंध बैंक (9 प्रतिशत) में सबसे कम निष्क्रिय खाते दर्ज किए गए। भारतीय स्टेट बैंक में निष्क्रिय खातों का प्रतिशत उल्लेखनीय रूप से बढ़ा। स्टेट बैंक में निष्क्रिय खाते सितंबर 2024 में 19 प्रतिशत थे और यह सितंबर 2025 में बढ़कर 25 प्रतिशत हो गए। इस सिलसिले में वित्त मंत्रालय को ईमेल से सवाल भेजा गया था लेकिन खबर लिए जाने तक जवाब नहीं मिला।
भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देश के अनुसार दो वर्ष की अवधि से अधिक तक लेन देन नहीं होने की स्थिति में बचत खाते को निष्क्रिय/डोरमेंट माना जाता है।
इससे पहले बिजनेस स्टैंडर्ड ने जानकारी दी थी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने एक मुश्त उपाय के तहत इस साल अप्रैल में 15 लाख निष्क्रिय शून्य बैंलेंस वाले जन धन खाते बंद कर दिए थे। यह कदम डुल्पीकेट और गैर सक्रिय खातों को बंद करने के लिए उठाया गया था।