विश्व मौसम संगठन की हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर अब तक के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया है। इससे ग्रह का तापमान और बढ़ सकता है और जलवायु परिवर्तन की और भी अधिक चरम घटनाएं हो सकती हैं।
ब्राजील में अगले महीने होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से पहले जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 से 2024 तक कार्बन डाइऑक्साइड की वैश्विक औसत सांद्रता में प्रति दस लाख 35 लाख कण की वृद्धि हुई है। यह 1957 में आधुनिक माप शुरू होने के बाद सबसे ज्यादा वृद्धि है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जीवाश्म ईंधन के जलने और खासकर दक्षिण अमेरिका में जंगलों की आग की घटनाएं बढ़ने से बीते साल कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ा है। इसके अलावा, रिपोर्ट में उत्सर्जन को कम करने के लिए और अधिक प्रयास करने की जरूरतों पर बल दिया गया है।
विश्व मौसम संगठन की महासचिव को बैरेट ने कहा, ‘कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों द्वारा अवशोषित ऊष्मा हमारी जलवायु को रफ्तार दे रही है और मौसमी घटनाओं को और अधिक चरम बना रही है।’
अन्य महत्त्वपूर्ण ग्रीनहाउस गैसों, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड की सांद्रता भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। यह पूर्व औद्योगिक स्तरों के मुकाबले क्रमशः 16 और 25 फीसदी बढ़ी है, जबकि कार्बन डाइऑक्साइड में 52 फीसदी का इजाफा हुआ है।
विश्व मौसम संगठन की वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ओकसाना तारासोवा ने जिनेवा में कहा, ‘कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में जमा होती है। यह लंबे समय तक रहती है। वायुमंडल में उत्सर्जित होने वाले प्रत्येक अणु का दुनिया भर में असर पड़ेगा।’
तारासोवा ने कहा कि लगभग 50 फीसदी कार्बन उत्सर्जन जंगलों, जमीन और महासागरों द्वारा सोख लिया जाता है। मगर इन तथाकथित कार्बन सिंक की गैसों को अवशोषित करने की क्षमता कम हो रही है। उन्होंने कहा, ‘हम अपने प्रभावों को कम करने में मदद के लिए प्राकृतिक प्रणालियों पर निर्भर हैं और ये प्रणालियां इतनी दबाव में हैं कि उनकी खुद की मदद कम होने लगी है।’
उदाहरण के लिए, एमेजॉन के पेड़ 2023 में पूर्वी प्रशांत महासागर में अल नीनो के दौरान बढ़ते तापमान और कम वर्षा से तनावग्रस्त हो गए और सूखे की शुरुआत हुई जो 2024 तक जारी रही। तारासोवा ने कहा, ‘अगर पेड़ तनाव में है, अगर उसके पास पानी नहीं है और उसका तापमान बहुत ज्यादा है तो वह प्रकाश संश्लेषण नहीं करता।’