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अमेरिकी हमले और ईरान-इजरायल तनाव के बावजूद भारतीय उद्योग जगत का निवेश और कारोबार स्थिर

ईरान-इजरायल तनाव और अमेरिकी हमले के बावजूद भारतीय सीईओ निवेश योजनाओं में बदलाव नहीं कर रहे, देश की मजबूत अर्थव्यवस्था को वैश्विक जोखिमों के खिलाफ बफर मान रहे हैं।

Last Updated- June 22, 2025 | 10:51 PM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

भारतीय उद्योग जगत के लगभग 75 फीसदी मुख्य कार्या​धिकारियों (सीईओ) का कहना है कि इजरायल-ईरान के बीच बढ़ते तनाव और शुल्क दरों के बारे में अनि​श्चितता का उनके कारोबार पर सीमित प्रभाव पड़ रहा है। मगर शेष प्रतिभागियों को कारोबार में कोई खास व्यवधान नहीं दिख रहा है। पिछले सप्ताह देश भर में प्रमुख भारतीय सीईओ के बीच किए गए एक सर्वे से यह खुलासा हुआ है। 

सर्वे में शामिल 12 सीईओ में से 83.33 फीसदी ने बताया कि मौजूदा भू-राजनीतिक तनावों के बावजूद वे अपनी नई निवेश योजनाओं में कोई बदलाव नहीं करने जा रहे हैं। यहां तक कि रविवार को ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए अमेरिकी हवाई हमलों के बाद भी उनकी निवेश योजनाओं में कोई बदलाव नहीं होगा। हालांकि अमेरिकी हमले के कारण उस क्षेत्र में जोखिम काफी बढ़ गया है।

उद्योग जगत में नेतृत्व करने वाली टीम की समग्र भावना स्थिर बनी हुई है। सर्वे में शामिल करीब तीन-चौथाई प्रतिभागियों ने नेतृत्व टीम के रुझान को सतर्कता के साथ आशावादी बताया है।

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तरलता में दी गई हालिया ढील के बाद लगभग 58.33 फीसदी सीईओ ने संकेत दिया कि उनकी कारोबारी रणनीतियों या आपूर्ति श्रृंखलाओं में बदलाव करने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। इससे घरेलू वृहद आ​र्थिक स्थितियों में भरोसे का संकेत मिलता है।

एक सीईओ ने कहा, ‘ईरान पर अमेरिका के हमलों के नतीजे का आकलन करने के लिए हर कोई फिलहाल इंतजार करना चाहता है। होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने से कच्चे तेल की आपूर्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।’

एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के अनुसार, यह संभावित व्यवधान ऐसे समय में आया है जब भारतीय कंपनियों ने अगले पांच वर्षों में बिजली, पारेषण, विमानन और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों के 850 अरब डॉलर के पूंजीगत व्यय की महत्त्वाकांक्षी योजना बनाई है।

जहां तक जून तिमाही में उपभोक्ता मांग की बात है तो इस मुद्दे पर सीईओ के बीच अलग-अलग राय है। सर्वे में शामिल आधे सीईओ ने उम्मीद जताई कि मांग में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले सुधार होगा। मगर आधे प्रतिभागियों का मानना है कि मांग में कोई खास बदलाव नहीं होगा। हालांकि 50 फीसदी सीईओ ने ग्राहकों द्वारा विवेकाधीन खर्च या पूंजीगत व्यय में देरी की बात स्वीकार की। इससे ग्राहकों के सतर्क रुख का पता चलता है।

नियुक्तियों के बारे में 58.33 फीसदी सीईओ ने कहा कि वित्त वर्ष 2026 में वित्त वर्ष 2025 के मुकाबले भर्ती में कोई बदलाव नहीं होगा। मगर शेष प्रतिभागियों ने भर्ती बढ़ाने की योजना के बारे में बताया। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था में मजबूती तमाम वैश्विक बाधाओं के खिलाफ एक बफर के रूप में काम कर रहा है। सर्वे में शामिल 91.67 फीसदी सीईओ का मानना है कि भारत की वृहद आर्थिक स्थिरता उनके कारोबार को वैश्विक अस्थिरता से निपटने में मदद कर रही है।

(साथ में सोहिनी दास, शाइन जैकब, गुलवीन औलख, ईशिता आयान दत्त, उदिशा श्रीवास्तव, पीरजादा अबरार और देव चटर्जी)

First Published - June 22, 2025 | 10:51 PM IST

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