भारत का चालू खाते का घाटा (सीएडी) वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में घटकर 10.5 अरब डॉलर या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.2 प्रतिशत रह गया है। यह वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में 11.4 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 1.3 प्रतिशत था। एक साल पहले (वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही) के 16.8 अरब डॉलर (जीडीपी का 2 प्रतिशत) की तुलना में भी चालू खाते का घाटा कम हुआ है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में शुद्ध सेवा प्राप्तियों में बढ़ोतरी से वस्तुओं के व्यापार के घाटे में हुई मामूली वृद्धि की भरपाई हो गई है। इससे चालू खाते का घाटा कम करने में मदद मिली है। सॉफ्टवेयर, बिजनेस और ट्रैवल सेवाओं के निर्यात में बढ़ोतरी के कारण पिछले साल की तुलना में सेवाओं के निर्यात में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
बार्कलेज ने एक नोट में कहा, ‘वस्तुओं के कारोबार में घाटा के बावजूद चौथी तिमाही में चालू खाते का घाटा कम हुआ है। इसे रिकॉर्ड उच्च सेवाओं के कारोबार से आए अधिशेष और द्वितीयक आमदनी से मदद मिली है।’ इसने कहा, ‘सकारात्मक एफडीआई और एफपीआई प्रवाह की वजह से बीओपी अधिशेष में रहा।
‘हम उम्मीद करते हैं कि चालू खाते के घाटे की भरपाई के लिए धन जुटाने की जरूरत इस वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में प्रबंधन के योग्य स्तर पर रहेगी।’
वाणिज्यिक व्यापार का घाटा वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में 71.6 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले की समान अवधि में 71.3 अरब डॉलर था। रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि सेवाओं से शुद्ध प्राप्तियां बढ़कर वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में 45 अरब डॉलर हो गईं, जो वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में 38.7 अरब डॉलर थीं।
बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि सेवाओं के निर्यात का प्रदर्शन बेहतर है और पिछले साल की समान अवधि की तुलना में जिंसों के वैश्विक दाम कम हुए हैं। इसकी वजह से तीसरी तिमाही में चालू खाते का घाटा कम करने में मदद मिली है। यह स्थिति चालू तिमाही (वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही) में भी बने रहने की संभावना है।
प्राथमिक आय खाते से शुद्ध व्यय, जो प्रमुख रूप से निवेश आय के भुगतान को दिखाता है, दिसंबर 2023 तिमाही में बढ़कर 13.2 अरब डॉलर हो गया है, जो एक साल पहले 12.7 अरब डॉलर था। निजी हस्तांतरण से प्राप्तियों में मुख्य रूप से विदेश में काम करने वाले भारतीयों द्वारा भेजा गया धन शामिल होता है।
रिजर्व बैंक के मुताबिक यह राशि 31.4 अरब डॉलर रही है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 2.1 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में भुगतान संतुलन (बीओपी) की स्थिति देखें तो रिजर्व में 6 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है, जो एक साल पहले की समान अवधि के 11.1 अरब डॉलर की तुलना में कम है। अप्रैल-दिसंबर 2023 में देश का चालू खाते का घाटा कम होकर जीडीपी का 1.2 प्रतिशत रह गया है, जो इसके पहले के साल की समान अवधि में जीडीपी का 2.6 प्रतिशत था।
वस्तुओं के व्यापार में घाटा कम होने के कारण ऐसा हुआ है। सेवाओं और हस्तांतरण में शुद्ध अदृश्य प्राप्तियां वित्त वर्ष 2024 के शुरुआती 9 महीनों में अधिक रही हैं। रिजर्व बैंक ने कहा है कि अप्रैल-दिसंबर 2023 के दौरान जहां तक बीओपी की स्थिति का सवाल है, यह 32.9 अरब डॉलर बढ़ा है, जबकि एक साल पहले इसमें 14.7 अरब डॉलर की कमी आई थी।
डीबीएस बैंक में वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा कि वित्त वर्ष 2024 में पूरे साल के दौरान चालू खाते का घाटा जीडीपी के -0.8 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद है, जबकि पिछले पूर्वानुमान में जीडीपी के -1.5 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद थी। सिंगापुर के बैंक ने अनुमान लगाया है कि सेवाओं के निर्यात में धीमी वृद्धि और वस्तुओं के आयात में घाटा बढ़ने के कारण चालू खाते का घाटा जीडीपी के -1.1 प्रतिशत तक रहने की संभावना है।