अक्टूबर महीने में वाणिज्यिक पत्र (कमर्शियल पेपर) लगभग एक साल के निचले स्तर पर जारी किए गए। बाजार के हिस्सेदारों का कहना है कि नकदी की स्थिति तंग रहने के कारण दरें बढ़ी हैं, जिसकी वजह से ऐसा हुआ।
अक्टूबर महीने में 74,804 करोड़ रुपये के वाणिज्यिक पत्र जारी किए गए। यह अक्टूबर 2022 से अब तक का निचला स्तर है। पिछले महीने की तुलना में इसमें करीब 38 प्रतिशत की गिरावट आई है।
क्लियरिंग कॉर्पोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआईएल) के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में 1,21,145 करोड़ रुपये के वाणिज्यिक पत्र जारी किए गए थे।
कम अवधि के लिए धन जुटाने के इस साधन की दर में अक्टूबर महीने में 30 आधार अंक की बढ़ोतरी हुई, क्योंकि अग्रिम कर जमा किए जाने व वस्तु एवं सेवा कर के भुगतान के कारण इस महीने नकदी घाटे की स्थिति में बनी रही।
जेएम फाइनैंशियल के प्रबंध निदेशक अजय मांगलुनिया ने कहा, ‘वाणिज्यिक पत्र सामान्यतया म्युचुअल फंडों द्वारा खरीदे जाते हैं। जब कॉल रेट्स में नकदी ज्यादा रहती है, जब बैंक भी लिक्विड फंड में धन नहीं रखते हैं। ओवरनाइट सीबीएलओ (कोलेटरलाइज्ड बॉरोइंग ऐंड लेंडिंग ऑब्लिगेशन) और कॉल रेट ज्यादा रही है। ऐसे में लोगों ने वाणिज्यिक पत्र खरीदने के बजाय सीबीएलओ में धन लगाने का विकल्प चुना। अगर नकदी ऋणात्मक स्थिति में है, लोग बाजार में धन लगाने के बजाय उधारी लेते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘अब हम उम्मीद कर रहे हैं कि नकदी की स्थिति तंग रहेगी, लेकिन यह बहुत ज्यादा तंग नहीं रहेगी। यह घाटे की स्थिति में भी नहीं रहेगी न अधिशेष की स्थिति में रहेगी।’
वाणिज्यिक पत्र कम अवधि के ऋण का असुरक्षित प्रारूप होता है, जिसे कॉर्पोरेशंस जारी करते हैं। इसे तात्कालित वित्तीय बाध्यताएं पूरी करने के वित्तीय साधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
इस साल 15 सितंबर से ही ज्यादातर नकदी की स्थिति घाटे में रही है। 19 सितंबर को नकदी की कमी करीब 1.47 लाख करोड़ रुपये थी, जो 29 जनवरी, 2020 के बाद से सर्वाधिक है, जब बैंकिंग व्यवस्था में नकदी की कमी 3 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई थी। चालू वित्त वर्ष में पहली बार 21 अगस्त को घाटे की स्थिति में नकदी गई थी।
भारतीय रिजर्व बैंक ने रविवार को बैंकिंग व्यवस्था में 46,611 करोड़ रुपये नकदी डाली, जबकि शुक्रवार को 41,142 करोड़ रुपये डाली थी।
सुंदरम असेट मैनेजमेंट में सीआईओ डेट और कार्यकारी वाइस प्रेसीडेंट द्विजेंद्र श्रीवास्तव ने कहा, ‘नकदी की तंग स्थिति के कारण वाणिज्यिक पत्रों की दर बढ़ रही है, लेकिन जारीकर्ता ज्यादा दर पर जारी करने को लेकर सुस्त हैं। उद्योग के रूप में हमें कम अवधि की योजनाओं में बढ़ा प्रवाह नहीं मिल रहा है, इसलिए सीपी में निवेश लगातार कम हो रहा है। यही वजह है कि जारी किए जाने में कमी आई है।’
उन्होंने कहा, ‘अगर इसे जारी किए जाने में गिरावट बरकरार रहती है तो अंततः यह बेमेल होगा और बकाया राशि में गिरावट आएगी।’
बाजार हिस्सेदारों को उम्मीद है कि चालू तिमाही में नकदी की तंग स्थिति जारी रहेगी। हालांकि बाजार के एक वर्ग का मानना है कि केंद्रीय बैंक ओपन मार्केट ऑपरेशंस (ओएमओ) की बिक्री संभवतः नहीं करेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति संबंधी बयान में कहा था कि केंद्रीय बैंक नकदी बढ़ाने के लिए ओएमओ नीलामी कर सकता है।
ओएमओ की बिक्री के लिए केंद्रीय बैंक ने कोई समय सीमा नहीं तय किया है और कहा है कि यह चल रही नकदी की स्थिति पर निर्भर होगा।