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अर्थशास्त्रियों ने RBI को दिए सुझाव, दरों में 25 आधार अंकों की वृद्धि जरूरी

Last Updated- March 28, 2023 | 11:04 PM IST
Reserve Bank of India, RBI MPC Meet Highlights

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक हालिया बैठक में अर्थशास्त्रियों ने सुझाव दिया है कि केंद्रीय बैंक को अगले सप्ताह अपनी नीतिगत समीक्षा में रीपो दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि करनी चाहिए। उनका कहना है कि घरेलू मोर्चे पर वृद्धि की रफ्तार और मुद्रास्फीति को देखते हुए कुछ और सख्ती की जरूरत है।

मौद्रिक नीति समिति इस संबंध में 6 अप्रैल को अपना रुख स्पष्ट करेगी।

हालांकि अमेरिका में सिलिकन वैली बैंक के ठप होने और क्रेडिट सुइस के अधिग्रहण के कारण वैश्विक बैंकिंग क्षेत्र में जारी उथल-पुथल के बीच मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक होने जा रही है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि वै​श्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों ने मुद्रास्फीति से मुकाबला करने के लिए दरों में वृद्धि के साथ आगे बढ़ने की रणनीति अपनाई है।

इस मामले से अवगत सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘वित्तीय स्थिरता और मुद्रास्फीति के बीच अंतर किया जा रहा है। मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए आरबीआई को दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि करनी चाहिए। हालिया घटनाओं के बावजूद वै​श्विक स्तर पर केंद्रीय बैंक दरों में वृद्धि कर रहे हैं। अ​धिकतर अर्थशास्त्रियों ने आरबीआई से यही कहा है।’

सूत्रों ने कहा कि बैठक में मौजूद आरबीआई के अधिकारियों ने अर्थशास्त्रियों की राय सुनने के दौरान कोई खुलासा नहीं किया।

पिछले कुछ सप्ताह के दौरान यूरोपीय सेंट्रल बैंक, अमेरिकी फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में वृद्धि की है। इन केंद्रीय बैंकों ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की आवश्यकता को उजागर किया है।

हालांकि कुछ अर्थशास्त्रियों ने सुझाव दिया कि आरबीआई को दर में वृद्धि पर फिलहाल विराम देना चाहिए लेकिन अ​धिकतर अर्थशास्त्री दर बढ़ाने के पक्ष में थे। उनका कहना था कि मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के 2 से 6 फीसदी के सहजता दायरे से बाहर बरकरार है। आरबीआई का मुद्रास्फीति लक्ष्य 4 फीसदी है।

इस बाबत जानकारी के लिए आरबीआई को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।

अर्थशास्त्रियों ने यह भी सुझाव दिया कि आर्थिक वृद्धि एवं मुद्रास्फीति के अनुमान के लिए मौजूदा अनिश्चितताओं को देखते हुए आरबीआई को नकदी प्रवाह के मोर्चे पर तटस्थ रुख बरकरार रखना चाहिए।

एक सूत्र ने कहा, ‘काफी हद तक आम राय यह थी कि आरबीआई को तरलता के मोर्चे पर लचीला रुख बनाए रखना चाहिए क्योंकि उसे परि​स्थिति के अनुसार प्रणाली में नकदी प्रवाह बढ़ाना अथवा उसे सोखना पड़ सकता है। मौजूदा वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि वृद्धि की रफ्तार क्या होगी। इसलिए आरबीआई के लिए बेहतर यही होगा कि वह तरलता के सभी विकल्प खुला रखे।’

आरबीआई ने मुद्रास्फीति को लक्ष्य के दायरे में लाने के लिए मई 2022 के बाद रीपो दर में 250 आधार अंकों की वृद्धि की है। फिलहाल रीपो दर 6.50 फीसदी है।

फरवरी में अपनी पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रीपो दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि की थी। आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी और फरवरी दोनों महीनों के दौरान मुद्रास्फीति 6 फीसदी से अ​धिक थी।

इस बीच, अक्टूबर से दिसंबर की अव​धि में भारत की जीडीपी वृद्धि 4.4 फीसदी पर दूसरी तिमाही की 6.3 फीसदी से कम रही। हालांकि यह काफी हद तक आरबीआई के अनुमान के मुताबिक ही रही। केंद्रीय बैंक ने पूरे वित्त वर्ष के लिए 6.8 फीसदी जीडीपी वृद्धि का अनुमान जाहिर किया है।

First Published - March 28, 2023 | 7:22 PM IST

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