नुस्ली वाडिया के स्वामित्व वाली गो फर्स्ट को अप्रैल के आखिर तक प्रवर्तक इक्विटी और बैंक कर्ज के रूप में रकम मिलेगी, जिससे कंपनी को तात्कालिक पूंजी की जरूरत पूरी करने में मदद मिलेगी। कंपनी के आला आधिकारी ने यह जानकारी दी। इसके तहत वाडिया फैमिली और बैंक 300-300 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे।
रूस-यूक्रेन युद्ध और कोरोना महामारी का भारी असर झेल चुका भारतीय विमानन क्षेत्र पिछले साल अक्टूबर से सुधार की राह पर है और देसी ट्रैफिक करीब-करीब रोजाना 4.5 लाख के पार जा रहा है।
प्रैट ऐंड व्हिटनी के खराब इंजन के कारण विमानन कंपनी के करीब 23 विमान खड़े हैं और कंपनी इन विमानों को सेवा में वापस लाने के प्रयास कर रही है।
कंपनी के अधिकारी ने कहा, प्रवर्तक कंपनी के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। पिछले 20 महीने में प्रवर्तकों ने 3,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है और अप्रैल के आखिर तक वे 290-300 करोड़ रुपये का और निवेश करेंगे। इसके अलावा भारत सरकार की इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के तहत बैंक कर्ज के तौर पर 300 करोड़ रुपये अप्रैल या मई में मिलेंगे।
साल 2021 में गो फर्स्ट ने प्रवर्तकों की 25 फीसदी हिस्सेदारी के विनिवेश की खातिर आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) का ऐलान किया था, लेकिन मर्चेंट बैंकरों की सलाह पर इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया क्योंकि संभावित निवेशकों ने प्रैट ऐंड व्हिटनी के खराब इंजन के कारण खड़े विमानों पर स्पष्टता की मांग की थी।
अधिकारी ने कहा, हिस्सेदारी बिक्री मामले में कई निवेशकों ने वाडिया से संपर्क किया था क्योंकि वे भारत की प्रगति की कहानी में भागीदारी करना चाहते हैं। विमानन कंपनी सभी हितधारकों के लिए बेहतर से बेहतर संभावनाएं तलाश रही है।
पिछले कुछ दिनों से विमानन कंपनी सिर्फ 23 विमानों के जरिए परिचालन कर रही है, लेकिन प्रबंधन को उम्मीद है कि सप्ताहांत तक यह संख्या बढ़कर 28 हो जाएगी।