यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (वाईईआईडीए) ने बुधवार को नैशनल कंपनी लॉ अपील ट्रिब्यूनल से कहा कि सुरक्षा रियल्टी के प्रस्ताव (जिसने कर्जदार जेपी इन्फ्राटेक को अपने हाथ में लिया है) पर उत्तर प्रदेश सरकार अभी विचार कर रही है।
एनसीएलटी ने पिछले साल 7 मार्च को जेपी इन्फ्राटेक का अधिग्रहण सुरक्षा रियल्टी की तरफ से किए जाने को मंजूरी दी थी। मुंबई की कंपनी ने 7,936 करोड़ रुपये की पेशकश की थी, जिसके खिलाफ तीन अलग-अलग अपील खारिज कर दी गई थी। सुरक्षा समूह की तरफ से अधिग्रहण 20,000 से ज्यादा घर खरीदारों के लिए राहत लेकर आया। हालांकि यमुना विकास प्राधिकरण ने इस मंजूरी को चुनौती दी थी।
प्राधिकरण ने सुरक्षा समूह की समाधान योजना की सभी पांचों शर्तों को मंजूरी दी थी। यमुना एक्सप्रेसवे बनाने वाली जेपी नोएडा व ग्रेटर नोएडा में अपनी अलग-अलग आवासीय परियोजनाओं में करीब 32,000 घर देने में नाकाम रही थी।
जमीन पर प्रशासनिक नियंत्रण रखने वाले प्राधिकरण ने कहा था कि जेपी की संपत्ति के अधिग्रहण से पहले सुरक्षा समूह जमीन का 64.7 फीसदी बढ़ा हुआ मुआवजा (1,689 करोड़ रुपये) करीब 10,000 किसानों को चुकाए।
प्राधिकरण ने बुधवार को एनसीएलएटी से कहा कि अप्रैल के दूसरे हफ्ते के बाद वह उसकी याचिका पर विचार करे। इसमें कहा गया है कि तब तक प्राधिकरण और सुरक्षा के बीच सभी मामलों का निपटान हो जाएगा और अगर ऐसा नहीं हुआ तो अगली तारीख को अपील पर सुनवाई की जानी चाहिए।