अमेरिका की ओर से भारत पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की संभावना का असर दिखना शुरू हो गया है, जिससे भारतीय कंपनियों के मुनाफे पर खतरा मंडरा रहा है। तिरुपुर जैसे हब में कपड़ा निर्यातकों का कहना है कि अमेरिका पहले ही 10 प्रतिशत तक की छूट की मांग कर रहा है और भारतीय निर्माताओं से वह शुल्कों के कारण पड़ने वाले वित्तीय बोझ का कुछ हिस्सा वहन करने का आग्रह कर रहा है।
ध्यान देने वाली बात है कि भारतीय निर्यातकों को बड़ी मात्रा में जाने वाले सामान्य उत्पादों पर औसतन 5 प्रतिशत तक का ही मुनाफा मिलता है। फैशन उत्पादों पर यह लगभग 20 प्रतिशत होता है। भारत से वॉलमार्ट, टारगेट, एमेजॉन, कॉस्टको, मेसी’ज, गैप और कोलंबिया स्पोर्ट्सवियर जैसे अमेरिकी ब्रांड सामान मंगाते हैं। टैरिफ की मार ऐसे समय पड़ी है जब इस साल जनवरी से मई के बीच अमेरिकी बाजार में भारतीय परिधानों की आयात हिस्सेदारी 8 प्रतिशत दर्ज की गई है, जो इससे पिछले वर्ष इसी अवधि में 6 प्रतिशत पर थी।
बाइंग एजेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और एसएनक्यूएस इंटरनैशनल के प्रबंध निदेशक इलांगोवन विश्वनाथन ने कहा, ‘कुछ ब्रांडों ने पहले से ही 10 प्रतिशत तक की छूट मांगनी शुरू कर दी है, जबकि वॉल्यूम उत्पादों पर हमारा औसत मार्जिन केवल 5 प्रतिशत के आसपास है, जिससे यह मांग अव्यवहार्य हो जाती है।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘केवल अमेरिकी बाजार पर निर्भर खासकर किडवियर सेगमेंट जैसे प्रमुख क्षेत्रों की कंपनियों की मुश्किलें अधिक बढ़ने वाली हैं।’ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि उच्च टैरिफ के परिणामस्वरूप अमेरिकी बाजार में भारत के निर्यात वृद्धि में 5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। उद्योग के लिए बड़ी चिंता ‘जुर्माना’ राशि पर स्पष्टता की कमी भी है, क्योंकि यह बढ़ाए जाने वाले टैरिफ के अतिरिक्त है। कुछ कंपनियों ने टैरिफ की मार के बीच बाजार की प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है।
इंडियन टेक्सप्रेनर्स फेडरेशन (आईटीएफ) के संयोजक प्रभु दामोदरन ने कहा, ’25 प्रतिशत शुल्क के बावजूद भारत को लागत के मामले में बांग्लादेश और कंबोडिया से 10 प्रतिशत, श्रीलंका से 5 प्रतिशत और चीन से 20-25 प्रतिशत अधिक लाभ है। कच्चे माल और इससे जुड़ी अन्य वस्तुओं में हमारी मजबूत नींव तथा बेहतर होती आपूर्ति व्यवस्था के कारण हमें वैश्विक स्तर पर अधिक पसंद किया जाता है।’
उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि काफी कुछ इस पर भी निर्भर करेगा कि चीन टैरिफ किस स्तर पर निर्धारित होता है, क्योंकि वैश्विक व्यापार में अलग-अलग प्रतिस्पर्धात्मक लाभ काफी मायने रखता है। कपड़ा निर्माता टीटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय कुमार जैन ने कहा, ‘बढ़ते टैरिफ के कारण अगले तीन महीनों तक खरीद धीमी रहेगी, लेकिन अमेरिका के पास पर्याप्त माल नहीं है, जिससे अधिक इंतजार नहीं कर सकता।’
उन्होंने यह भी कहा, ‘भारत के पास वैसे भी आज निर्यात में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की क्षमता नहीं है। वह अभी क्षमता निर्माण की प्रक्रिया में है। किसी अन्य देश के मुकाबले ब्रिटेन और वे खरीदार पहले माल लेना चाहेंगे, जिन्होंने हर हाल में भारत से अधिक माल लेने का फैसला किया है।’