भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने शुक्रवार को कहा कि सरकार को अभी चीन की करीब 160 खिलौना कंपनियों को गुणवत्ता प्रमाणपत्र जारी करना बाकी है। चीन में कोविड-19 महामारी के व्यवधानों के कारण इसमें देरी हो रही है।
भारत में कम गुणवत्ता के खिलौनों की बिक्री को रोकने के लिए जनवरी 2021 से खिलौनों के आयात और बिक्री के लिए BIS प्रमाणपत्र अनिवार्य कर दिया गया था। बहरहाल पिछले 3-4 दिनों से BIS बड़े हवाईअड्डों और शॉपिंग मॉलों पर छापेमारी कर रहा है और चीन से हुए अवैध आयात की जांच कर रहा है।
तिवारी ने संवाददातों से कहा कि ऐसा देखा गया है कि चीन से आने वाले खिलौने BIS के प्रमाणन के बगैर या फर्जी लाइसेंस का इस्तेमाल करके बेचे जा रहे हैं। तिवारी ने कहा, ‘चीन की किसी कंपनी को BIS लाइसेंस (2021 से) नहीं दिया गया है। अगर आप मेड इन चाइना खिलौने देखते हैं तो कृपया BIS को सूचित करें। अगर किसी स्टोर पर चीन से बना खिलौना उपलब्ध है तो आप सुनिश्चित रहें कि वह अवैध है (वह बगैर लाइसेंस के आया है)।’
इस समय केंद्र की सरकार ने 982 घरेलू विनिर्माताओं और 29 विदेशी खिलौना विनिर्माताओं को BIS लाइसेंस दिया है। श्रीलंका, वियतनाम और यूरोप के कुछ देशों को लाइसेंस दिया गया है। पिछले कुछ वर्षों से केंद्र की मोदी सरकार ने भारत में खिलौनों के आयात पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, क्योंकि इसमें ज्यादा खिलौने असुरक्षित, खराब गुणवत्ता वाले, नकली और सस्ते हैं।
इस तरह के कदमों में सीमा शुल्क 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत किया जाना, गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लागू किया जाना, आयातित खिलौनों के नमूनों की जांच अनिवार्य किया जाना, घरेलू खिलौना विनिर्माताओं को 850 से ज्यादा बीआईएस लाइसेंस दिया जाना, खिलौना क्लस्टर स्थापित किए जाने जैसे कदम शामिल हैं। इन कदमों के कारण भारत में वित्त वर्ष 22 में खिलौनों का आयात 70 प्रतिशत कम होकर 11 करोड़ डॉलर रह गया है।