साल 2023 में मारुति सुजूकी इंडिया ने प्रति कार अर्जित औसत राजस्व में पिछले साल के मुकाबले 13.12 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया है। यह देश की प्रमुख कार कंपनियों में सबसे अधिक है।
अधिक कीमत वाले नए मॉडल की शुरुआत, ग्रैंड विटारा की बिक्री में वृद्धि, हाई-एंड वेरिएंट की अधिक बिक्री और शुद्ध मूल्य वृद्धि की वजह से प्रति कार औसत राजस्व में इजाफा हुआ है। जैटो डायनेमिक्स के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में मारुति के प्रति कार औसत राजस्व में 11.98 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी। मारुति सुजूकी इंडिया के वरिष्ठ कार्याधिकारी (विपणन और बिक्री) शशांक श्रीवास्तव ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया ‘हायर-एंड कार श्रेणी में हमारा बिक्री अनुपात बढ़ गया है, खास तौर पर एसयूवी (स्पोर्ट यूटिलिटी वाहन) बाजार में, जहां हमारी हिस्सेदारी अधिक मूल्य सीमा के भीतर बढ़ी है। मॉडल मिश्रण में यह बदलाव कंपनी के प्रति कार औसत राजस्व को प्रभावित करता है।’
उन्होंने कहा कि इसी तरह वेरिएंट मिश्रण में बदलाव, जहां किसी मॉडल के ऊंचे वाले वेरिएंट नीचे वाले वेरिएंट की तुलना में अधिक बिकते हैं, भी प्रति कार अर्जित औसत राजस्व की वृद्धि में योगदान करते हैं। इसके अलावा साल भर नए मॉडलों की शुरूआत और शुद्ध मूल्य वृद्धि प्रति कार औसत राजस्व को और प्रभावित करती है।
साल 2022 में महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने प्रति कार औसत राजस्व में पिछले साल के मुकाबले 18.16 प्रतिशत की वृद्धि देखी थी, जो सभी कार कंपनियों में सबसे अधिक रही। हालांकि साल 2023 के दौरान कंपनी ने प्रति कार औसत राजस्व में 7.56 प्रतिशत का इजाफा देखा।
जैटो डायनेमिक्स इंडिया के अध्यक्ष रवि भाटिया ने बताया कि साल 2023 में मारुति की यह वृद्धि अधिक औसत मूल्य वाले नए मॉडल पेश करने और ग्रैंड विटारा की बिक्री में खासी उछाल का परिणाम है।
दूसरी ओर महिंद्रा साल 2022 की तुलना में स्थिर हो गई (औसत में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ), हालांकि साल 2022 की तुलना में स्कॉर्पियो ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया।
देश की दूसरी सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी ह्युंडै के प्रति कार औसत राजस्व में साल 2023 के दौरान पिछले साल की तुलना में 6.76 प्रतिशत की वृद्धि नजर आई। साल 2022 में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि नजर आई थी। भाटिया के अनुसार साल 2023 में 6.76 प्रतिशत की इस वृद्धि का श्रेय एक्सटर और ऑयोनिक 5 की शुरुआत को दिया जा सकता है, जिनके औसत खुदरा दाम अधिक है।
उन्होंने कहा कि टक्सन और वर्ना की बिक्री मात्रा में खासा इजाफा देखा गया है, जिससे दक्षिण कोरियाई की कंपनी के लिए प्रति कार अर्जित कुल औसत राजस्व प्रभावित हुआ।