इस महीने के अपने निचले स्तर से भारती एयरटेल का शेयर 14 प्रतिशत चढ़ गया है। टेलीकॉम कंपनी के मुनाफे में यह बढ़ोतरी बाजार हिस्सेदारी में मजबूती, टैरिफ बढ़ोतरी और कम पूंजीगत खर्च के अनुमानों के सहारे आई है। उम्मीद है कि इससे कंपनी का मुनाफा बढ़ेगा।
भारतीय बाजार में अहम प्लेयर होने के अलावा, अफ्रीका के प्रमुख बाजारों में भी भारती एयरटेल का बाजार पर कब्जा है। अफ्रीका के 14 देशों में कंपनी के 14 करोड़ ग्राहक हैं।
भारत में, एयरटेल के चार कारोबारी क्षेत्र हैं: मोबाइल, होम सर्विसेज (ब्रॉडबैंड), डिजिटल टीवी (डायरेक्ट-टू-होम) और एयरटेल बिजनेस (एंटरप्राइज सर्विसेज)। कंपनी ने पेमेंट्स बैंक, एडटेक और डेटा सेंटरों में भी अपने बिजनेस को खोला है। 34 करोड़ ग्राहकों के साथ मोबाइल कारोबार उनका अब तक का सबसे बड़ा बिजनेस है।
भारत के टेलीकॉम बाजार में मजबूती के लिए बड़े बदलाव हुए हैं, अब सिर्फ तीन मुख्य प्राइवेट कंपनियां बची हैं – भारती Airtel (37% बाजार हिस्सेदारी), Reliance Jio (46% बाजार हिस्सेदारी) और Vodafone Idea (VIL) (17% बाजार हिस्सेदारी)। हालांकि VIL ने फंड जुटा लिया है और कंपटीटिव बनने की कोशिश कर रहा है, लेकिन आगे और मंदी की आशंका है।
अच्छी बात यह है कि तीनों ही ऑपरेटरों ने टैरिफ बढ़ाने में सफलता हासिल की है। हालांकि, 5G की शुरुआत के साथ तीनों कंपनियों को भारी पूंजी खर्च (capital expenditure) उठाना पड़ा है और आगे भी करना पड़ सकता है। भारती एयरटेल को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 में पूंजीगत खर्च कम हो जाएगा क्योंकि शहरी क्षेत्रों में 5G रोलआउट पूरा हो जाएगा।
एयरटेल के लिए भविष्य उज्ज्वल दिखता है, अगर वो टैरिफ में सोची-समझी बढ़ोतरी जारी रख सके और पूंजीगत खर्च कम करते हुए प्रति ग्राहक औसत राजस्व (ARPU) बढ़ा सके। वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही में, फाइबर खरीद जैसे खर्चों के कारण पूंजीगत खर्च बिक्री का 28% तक पहुंच गया था।
अगर पूंजीगत खर्च कम करने और टैरिफ बढ़ाने में सब कुछ ठीक रहा, तो वित्त वर्ष 25 में कंपनी ₹44,000 करोड़ के फ्री कैश फ्लो की बात कही जा रही है। हालांकि, शेयर की कीमतें बढ़ चुकी हैं, और ऐसा लगता है कि भविष्य की संभावनाओं को इसमें पहले ही शामिल कर लिया गया है।
भारती का वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही का समेकित ऑपरेशन लाभ ₹19,700 करोड़ रहा ( तिमाही आधार पर 2.8% कम लेकिन सालाना आधार पर 3.7% ज्यादा)। नाइजीरियाई नायरा मुद्रा अवमूल्यन के कारण यह उम्मीदों से कम रहा। भारत का वायरलेस ऑपरेशन लाभ ₹12,200 करोड़ रहा (तिमाही आधार पर 2% ज्यादा और सालाना आधार पर 15.6% ज्यादा), जो उम्मीदों के हिसाब से था।
हालांकि ARPU ₹209 पर स्थिर रहने के कारण ज्यादा नेट ग्राहक जुड़ने (6.7 मिलियन) और 4G/5G ग्राहक जुड़ने (7.8 मिलियन) का असर कम हो गया। कंपनी का ऑपरेशन लाभ मार्जिन तिमाही आधार पर 55.1% पर स्थिर रहा। फाइबर-टू-द-होम कारोबार मजबूत रहा लेकिन एंटरप्राइज क्षेत्र में वृद्धि धीमी रही।
पूंजीगत खर्च में बढ़ोत्तरी:
कंपनी का कुल पूंजीगत खर्च तिमाही आधार पर ₹1,200 करोड़ बढ़कर ₹10,500 करोड़ हो गया है, जिसमें से भारत में पूंजीगत खर्च ₹700 करोड़ बढ़कर ₹8,500 करोड़ हो गया है। हालांकि, मैनेजमेंट का कहना है कि वित्त वर्ष 2024 में पूंजीगत खर्च सबसे ज्यादा था और वित्त वर्ष 2025 में यह कम हो जाएगा।
बोर्ड द्वारा ₹8 प्रति शेयर के अंतिम डिविडेंड की घोषणा की गई है।
कंपनी का शुद्ध ऋण (लीज देनदारियों को छोड़कर) तिमाही आधार पर ₹1,400 करोड़ घटकर ₹141,000 करोड़ हो गया है। इसका मतलब है कि कंपनी के ऑपरेशन लाभ की तुलना में उसका शुद्ध ऋण 1.79 गुना है।
भारत के वायरलेस कारोबार में शुद्ध ग्राहक 6.7 मिलियन बढ़कर 352 मिलियन हो गए हैं। ग्राहक चर्न दर भी तिमाही आधार पर कम होकर 2.4% हो गई है (चौथी तिमाही वित्त वर्ष 24 में बनाम पिछली तिमाही का 2.9%)। 4G/5G ग्राहक वृद्धि भी मजबूत रही, जो चौथी तिमाही वित्त वर्ष 24 में 7.8 मिलियन (पिछली तिमाही के 7.4 मिलियन बनाम) रही। कंपनी के कुल मोबाइल ब्रॉडबैंड ग्राहकों में से 72% ग्राहक 4G/5G वाले हैं। हालांकि, भारत के वायरलेस ARPU में तिमाही आधार पर केवल ₹1 की वृद्धि हुई है, जो अब ₹209 हो गया है (पिछली तिमाही में ₹208 था)।
भविष्य के बेहतर प्रदर्शन के लिए अहम चीजें:
कंपनी का कहना है कि भविष्य में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए टैरिफ बढ़ोतरी करना जरूरी है। इसके अलावा, अगर विदेशी मुद्रा विनिमय दरों में कोई गड़बड़ी नहीं होती है, तो अफ्रीकी बाजारों में कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन रुपये के लिहाज से बेहतर हो सकता है। साथ ही, कारोबारी गतिविधियों में सुधार आने से उद्यम क्षेत्र में भी बेहतर वृद्धि की उम्मीद है। हालांकि, कंपनी के भविष्य के आंकलन को लेकर अलग-अलग विश्लेषकों की राय अलग-अलग है।
कुछ का मानना है कि टैरिफ बढ़ोतरी होगी और पूंजीगत खर्च कम होगा, वहीं कुछ विपरीत राय रखते हैं। इन अलग-अलग अनुमानों की वजह से कंपनी के शेयरों की लक्ष्य कीमतों में भी काफी अंतर देखने को मिल रहा है। कुछ विश्लेषक 1100 रुपये (जो गिरावट का संकेत है) का लक्ष्य बता रहे हैं, तो वहीं कुछ 1500 रुपये से ऊपर का लक्ष्य बता रहे हैं।