इक्विटी म्यूचुअल फंड में सितंबर महीने में लगातार दूसरे महीने निवेश घटा है। इक्विटी फंड्स में इनफ्लो 9 फीसदी (MoM) घटकर 30,421 करोड़ रुपये रह गया। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) ने शुक्रवार को आंकड़े जारी किये। इस गिरावट के बावजूद लगातार 55वें महीने इक्विटी सेगमेंट में नेट इनफ्लो बना रहा। अगस्त में 33,430 करोड़ का निवेश इक्विटी फंड्स में आया था और जुलाई में यह आंकड़ा 42,702 करोड़ रुपये था। बीते महीने Gold ETF में निवेश करीब 4 गुना बढ़कर 8,363 करोड़ रुपये हो गया। जबकि SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए रिकॉर्ड 29,361 करोड़ रुपये का इनफ्लो सितंबर महीने में दर्ज किया गया।
एम्फी के आंकड़ों के मुताबिक, म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को सितंबर में 43,146 करोड़ रुपये के नेट आउटफ्लो का सामना करना पड़ा, जबकि अगस्त में 52,443 करोड़ रुपये का इनफ्लो देखने को मिला था। सितंबर के अंत तक इंडस्ट्री की एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) बढ़कर 75.61 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई, जो अगस्त के अंत में 75.12 लाख करोड़ रुपये थी।
एम्फी के आंकड़ों के मुताबिक, इक्विटी कैटेगरी में सबसे ज्यादा निवेश फ्लेक्सी फंड्स में 7,029 करोड़ रुपये रहा। इसके बाद मिड कैप फंड्स में 5,085 करोड़ और स्मालकैप फंड्स में 4,363 करोड़ रुपये आये। इसके अलावा, लार्ज एंड मिडकैप कैटेगरी में 3,805 करोड़, लार्ज कैप फंड्स में 2,319 करोड़, वैल्यू\कॉन्ट्रा फंड में 2,108 करोड़, फोकस्ड फंड में 1,407 करोड़ और सेक्टोरल फंड में 1,220 करोड़ रुपये का निवेश दर्ज किया गया। दूसरी ओर, ELSS कैटेगरी से करीब 308 करोड़ रुपये की निकासी हुई।
टाटा एसेट मैनेजमेंट के चीफ बिजनेस ऑफिसर आनंद वर्धराजन का कहना है, पिछले एक साल में निफ्टी के स्थिर रहने के बावजूद इक्विटी निवेश के आंकड़े मजबूत बने हुए हैं। यह देखकर खुशी होती है कि सितंबर में प्राइमरी मार्केट में कई IPO के साथ अच्छी गतिविधि रही और सेकेंडरी मार्केट में भी इक्विटी फ्लो मजबूत रहे।
फ्लेक्सीकैप फंड्स में लगातार अच्छा निवेश देखने को मिला, जबकि मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड्स ने भी मजबूत इनफ्लो दर्ज किया। वहीं, सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में हाल के महीनों में निवेश की रफ्तार धीमी हुई है।
क्वांटेस रिसर्च के फाउंडर एवं सीईओ और स्मॉलकेस के इन्वेस्टमेंट मैनेजर कार्तिक जोनागडला का कहना है कि टैक्स साइकिल में लिक्विड फंड्स से निकासी के बावजूद मिड और स्मॉल कैप फंड्स में निवेश जारी रहा। सितंबर के AMFI आंकड़ों के अनुसार, इक्विटी में नेट इनफ्लो ₹30,422 करोड़ रहा (लगातार दूसरे महीने गिरावट के साथ), जबकि खुदरा निवेशक अनुशासित रहे। SIP कलेक्शन रिकॉर्ड ₹29,361 करोड़ तक पहुंच गया।
कैटेगरी के हिसाब से देखें तो, मिड-कैप फंड्स में ₹5,085 करोड़, स्मॉल-कैप फंड्स में ₹4,363 करोड़, और लार्ज-कैप फंड्स में ₹2,319 करोड़ का निवेश आया। वहीं, सेक्टोरल/थीमैटिक फंड्स घटकर करीब ₹1,221 करोड़ पर आ गए, जबकि फ्लेक्सीकैप फंड्स ने ₹7,029 करोड़ के निवेश के साथ मजबूत स्थिति बनाए रखी। यह संकेत देता है कि निवेशक अब सीमित थीम वाले फंड्स से हटकर व्यापक और स्थिर इक्विटी फंड्स की ओर रुख कर रहे हैं।
एम्फी के आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर महीने में डेट कैटेगरी से 1.02 लाख करोड़ रुपये की बड़ी निकासी दर्ज की गई, जबकि पिछले महीने यानी अगस्त में यह आंकड़ा सिर्फ 7,980 करोड़ रुपये था। लिक्विड फंड्स से सबसे ज्यादा 66,042 करोड़ रुपये का आउटफ्लो दर्ज किया गया। मनी मार्केट फंड से भी 17,899 करोड़ रुपये निवेशकों ने निकाले।
आनंद वर्धराजन कहते हैं, डेट फंड्स में निवेश गिनेटिव रहा, जिसकी प्रमुख वजह तिमाही के आखिर पर लिक्विडिटी की जरूरतें थीं। त्योहारी सीजन के खर्च के चलते भी इस सेगमेंट में कमजोर या निगेटिव इनफ्लो हो सकता है।
कार्तिक जोनागडला का कहना है कि डेट फंड्स में मौसमी रुझान दिखा। करीब 1.01 लाख करोड़ रुपये का नेट आउटफ्लो दर्ज हुआ, जिसमें लिक्विड फंड्स से 66,042 करोड़ रुपये की रिडेम्पशन प्रमुख रही। टैक्स भुगतान की वजह से सितंबर 22 के आसपास सिस्टम लिक्विडिटी घाटे में चली गई, जो आमतौर पर अक्टूबर की शुरुआत में सामान्य हो जाती है।
आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर में गोल्ड ईटीएफ में निवेशकों ने ताबड़तोड़ निवेश किया। पिछले महीने गोल्ड ईटीएफ में निवेश करीब 300 फीसदी बढ़कर 8,363.13 करोड़ रुपये हो गया, जोकि अगस्त में 2,189 करोड़ रुपये दर्ज किया गया।
इसी तरह, हाइब्रिड कैटेगरी में पिछले महीने 9,397 करोड़ रुपये इनफ्लो रह। अगस्त में यह 15,293 करोड़ रुपये था। सितंबर में इस कैटेगरी में सबसे ज्यादा निवेश मल्टी एसेट एलोकेशन फंड्स में 4,982 करोड़ रुपये आया।
आनंद वर्धराजन के मुताबिक, कीमती धातुओं, खासकर सोना और चांदी, ने पिछले कुछ महीनों में शानदार प्रदर्शन किया है। सितंबर में गोल्ड फंड्स में निवेश लगभग चार गुना बढ़कर ₹2,000 करोड़ से ₹8,300 करोड़ पहुंच गया। यह उछाल खासतौर से बेहतर रिटर्न, सेफ्टी और पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन की वजह से देखने को मिला। इसी तरह, हाइब्रिड कैटेगरी के मल्टी-एसेट फंड्स में भी मजबूत निवेश हुआ।
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कार्तिक जोनागडला का कहना है कि गोल्ड ETF में भी रिकॉर्ड मांग रही (करीब $902 मिलियन), जिससे भारत का गोल्ड ETF AUM 10 अरब डॉलर के पार पहुंच गया। यह इक्विटी में स्थिरता के बीच एक सस्ता और प्रभावी पोर्टफोलियो हेज साबित हुआ।
जोनागडला का कहना है कि निवेशक निवेशित रहें। पोर्टफोलियो में डाइवर्सिफाइड इक्विटी पर जोर दें। हाई क्वालिटी वाले मिड/स्मॉल कैप फंड्स में सीमित निवेश रखें। शॉर्ट टर्म फंड को ओवरनाइट या अल्ट्रा-शॉर्ट फंड्स में रखें और पोर्टफोलियो में 5–10% गोल्ड का हिस्सा बनाए रखें।