facebookmetapixel
Editorial: टिकाऊ कर व्यवस्था से ही बढ़ेगा भारत में विदेशी निवेशपीएसयू के शीर्ष पदों पर निजी क्षेत्र के उम्मीदवारों का विरोधपहले कार्यकाल की उपलब्धियां तय करती हैं किसी मुख्यमंत्री की राजनीतिक उम्रवित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही के दौरान प्रतिभूतियों में आई तेजीलक्जरी ईवी सेगमेंट में दूसरे नंबर पर जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडियाअगले तीन साल के दौरान ब्रिटेन में 5,000 नई नौकरियां सृजित करेगी टीसीएसभारत में 50 करोड़ पाउंड निवेश करेगी टाइड, 12 महीने में देगी 800 नौकरियांसरकार ने विद्युत अधिनियम में ऐतिहासिक संशोधन किया पेश, क्रॉस-सब्सिडी के बोझ से मिलेगी राहतअर्थव्यवस्था बंद कर विकास की गति सीमित कर रहा भारत: जेरोनिम जेटल्मेयरTata Trusts की बैठक में टाटा संस विवाद पर चर्चा नहीं, न्यासियों ने परोपकारी पहल पर ध्यान केंद्रित किया

सरकार ने विद्युत अधिनियम में ऐतिहासिक संशोधन किया पेश, क्रॉस-सब्सिडी के बोझ से मिलेगी राहत

सार्वजनिक परामर्श के लिए आज जारी किए गए मसौदा विधेयक में राज्य विद्युत नियामक आयोगों को स्वतः संज्ञान पर शुल्क निर्धारित करने का अधिकार देने का भी प्रस्ताव है

Last Updated- October 10, 2025 | 10:38 PM IST
Electricity
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

बिजली क्षेत्र के सुधारों को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने आज विद्युत अधिनियम में ऐतिहासिक संशोधन का प्रस्ताव रखा है। इसमें अनिवार्य लागत-प्रतिबिंबित शुल्क लागू करने, उद्योगों के लिए बिजली की ऊंची दरों को कम करने और रेलवे प्रणालियों तथा विनिर्माण कंपनियों को क्रॉस-सब्सिडी के बोझ से छूट प्रदान करने का प्रस्ताव है।

अ​धिनियम में संशोधन का उद्देश्य मजबूत और दूरदर्शी कानूनी ढांचा तैयार करना है जो 6.9 लाख करोड़ रुपये से अधिक के घाटे का सामना कर रही बिजली वितरण कंपनियों के वित्तीय दबाव को दूर करेगा, उच्च औद्योगिक शुल्कों पर लगाम लगाएगा तथा स्वच्छ ऊर्जा अपनाए जाने को बढ़ावा देगा। बिजली की ऊंची दरों से औद्योगिक प्रतिस्पर्धा प्रभावित हुई है और इसका आर्थिक विकास पर भी असर पड़ता है। 

बिजली मंत्रालय ने विद्युत (संशोधन) विधेयक 2025 के मसौदे में कहा है, ‘विद्युत अधिनियम में संशोधन के जरिये विद्युत नियामक आयोगों के लिए लागत-प्रतिबिंबित शुल्क तय करना अनिवार्य होगा। राज्य सरकारों के लिए विशिष्ट उपभोक्ता श्रेणियों को अग्रिम स​ब्सिडी देने की सुविधा जारी रहेगी ताकि किसी भी उपभोक्ता समूह पर अनुचित बोझ न पड़े।’

सार्वजनिक परामर्श के लिए आज जारी किए गए मसौदा विधेयक में राज्य विद्युत नियामक आयोगों को स्वतः संज्ञान पर शुल्क निर्धारित करने का अधिकार देने का भी प्रस्ताव है।  इसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि संशोधित दरें प्रत्येक वित्त वर्ष की 1 अप्रैल से लागू किए जाएं, जिससे बिजली क्षेत्र में समग्र वित्तीय अनुशासन में सुधार होगा। विधेयक में कहा गया है कि उच्च औद्योगिक शुल्क, क्रॉस-सब्सिडी और बिजली की बढ़ती खरीद लागत ने भारतीय उद्योग, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों की प्रतिस्पर्धात्मकता को कमजोर कर दिया है। इसमें कहा गया है, ‘प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य बिजली की दरों को युक्तिसंगत बनाना, मांग में तेजी लाना और लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना है, जिससे भारत की आ​र्थिक उत्पादकता को सुदृढ़ बनाया जा सके।’

विधेयक में परिवहन और लॉजिस्टिक लागत कम करने, दक्षता में सुधार लाने और वैश्विक बाजारों में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए विनिर्माण उद्यमों, रेलवे और मेट्रो रेल को पांच वर्षों के भीतर क्रॉस-सब्सिडी के बोझ से छूट देने का भी प्रस्ताव है।

भारतीय रेलवे और मेट्रो रेल प्रणालियों के लिए बिजली की दर में क्रॉस-सब्सिडी और अधिभार लगता है इससे यह और महंगा हो जाता है। इसकी वजह से मालवहन और लोगों के परिवहन की लागत बढ़ जाती है। ये उच्च लागतें अंततः पूरी अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की कीमत बढ़ाती हैं।

भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन को रफ्तार देने के लिए विधेयक में केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) को बाजार संचालित साधनों को पेश करने के लिए विशेष रूप से सशक्त बनाने का भी प्रस्ताव है। इससे निवेश आकर्षित होगा, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा और तेजी से नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्धि सुनिश्चित होगी। 

First Published - October 10, 2025 | 10:38 PM IST

संबंधित पोस्ट