facebookmetapixel
Editorial: टिकाऊ कर व्यवस्था से ही बढ़ेगा भारत में विदेशी निवेशपीएसयू के शीर्ष पदों पर निजी क्षेत्र के उम्मीदवारों का विरोधपहले कार्यकाल की उपलब्धियां तय करती हैं किसी मुख्यमंत्री की राजनीतिक उम्रवित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही के दौरान प्रतिभूतियों में आई तेजीलक्जरी ईवी सेगमेंट में दूसरे नंबर पर जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडियाअगले तीन साल के दौरान ब्रिटेन में 5,000 नई नौकरियां सृजित करेगी टीसीएसभारत में 50 करोड़ पाउंड निवेश करेगी टाइड, 12 महीने में देगी 800 नौकरियांसरकार ने विद्युत अधिनियम में ऐतिहासिक संशोधन किया पेश, क्रॉस-सब्सिडी के बोझ से मिलेगी राहतअर्थव्यवस्था बंद कर विकास की गति सीमित कर रहा भारत: जेरोनिम जेटल्मेयरTata Trusts की बैठक में टाटा संस विवाद पर चर्चा नहीं, न्यासियों ने परोपकारी पहल पर ध्यान केंद्रित किया

वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही के दौरान प्रतिभूतियों में आई तेजी

कुछ बड़े वाहन और मॉर्गेज लेंडर्स ने अपनी बिक्री की गतिविधि को कम कर दिया लेकिन माइक्रोफाइनैंस ऋणदाता की बढ़ी हुई भागीदारी से गिरावट को संतुलित किया गया

Last Updated- October 10, 2025 | 11:13 PM IST
Bank
प्रतीकात्मक तस्वीर

भारत में वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में प्रतिभूतीकरण लगभग 73,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 70,000 करोड़ रुपये था। यह जानकारी रेटिंग एजेंसी इक्रा की रिपोर्ट ने शुक्रवार को दी।

स्ट्रक्चर्ड फाइनैंस की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट व ग्रुप हेड मनुश्री सग्गर ने बताया ‘वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही के लिए प्रतिभूतीकरण लगभग 73,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि में दर्ज किए गए 70,000 करोड़ रुपये से अधिक है। वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही में बाजार की मात्रा में वृद्धि मुख्य रूप से एक बड़े बैंक की महत्त्वपूर्ण गतिविधि के कारण हुई थी। इसके विपरीत वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही के अनुसार वृद्धि को कुछ कॉर्पोरेट लेनदेन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।’

नियमित मात्रा 50,000 करोड़ रुपये पर स्थिर रही जो इक्रा के अनुमानों के अनुरूप है। सग्गर ने कहा कि कुछ बड़े वाहन और मॉर्गेज लेंडर्स ने अपनी बिक्री की गतिविधि को कम कर दिया लेकिन माइक्रोफाइनैंस ऋणदाता की बढ़ी हुई भागीदारी से गिरावट को संतुलित किया गया। यह बदलाव ऋण देने वाले के व्यवहार में रुझान को उजागर करता है।

कुछ ओरिजिनेटर्स के प्रति ऋणदाता का अधिक जोखिम-प्रतिकूल दृष्टिकोण है, जिसमें ऋणदाता पारंपरिक ऑन-बैलेंस शीट फंडिंग पर प्रतिभूतीकरण के जरिये निवेश करना चुन रहे हैं।

First Published - October 10, 2025 | 10:55 PM IST

संबंधित पोस्ट