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NITI Aayog ने टैक्स कानूनों में सुधार की सिफारिश की, कहा: आपराधिक मामलों को 35 से घटाकर 6 किया जाए

नीति आयोग ने टैक्स सुधार में आपराधिक मामलों को घटाकर सिर्फ छह करने और ट्रस्ट-बेस्ड सिस्टम अपनाने का सुझाव दिया है

Last Updated- October 10, 2025 | 7:16 PM IST
NITI Aayog
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

नीति आयोग ने शुक्रवार को अपनी टैक्स पॉलिसी वर्किंग पेपर सीरीज का दूसरा पेपर जारी किया, जिसका नाम है ‘टूवर्ड्स इंडियाज टैक्स ट्रांसफॉर्मेशन: डिक्रिमिनलाइजेशन एंड ट्रस्ट-बेस्ड गवर्नेंस’। इस पेपर में टैक्स कानूनों के तहत आपराधिक मामलों को 35 से घटाकर सिर्फ 6 करने की सिफारिश की गई है। पेपर में तीन स्तरों पर सुधार की बात कही गई है: पहला, 12 ऐसे अपराध जो प्रशासनिक या तकनीकी हैं, उन्हें पूरी तरह गैर-आपराधिक करना; दूसरा, 17 अपराधों के लिए आपराधिक जिम्मेदारी तभी लागू करना जब धोखाधडी या गलत इरादा साबित हो; और तीसरा, जानबूझकर बडे पैमाने पर टैक्स चोरी या सबूतों में हेरफेर जैसे 6 मुख्य अपराधों के लिए ही सजा रखना।

‘सिर्फ जानबूझकर टैक्स चोरी पर हो सजा’

नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने मीडिया को बताया, “आपराधिक नियम आसान, साफ और स्पष्ट होने चाहिए, यानी अच्छी तरह लिखे जाने चाहिए। इस रिपोर्ट ने 35 नियमों पर गौर किया और कहा कि सिर्फ 6 नियमों को पूरी तरह रखना चाहिए। ये नियम जानबूझकर टैक्स चोरी, गलत डिफॉल्ट या खातों में हेरफेर से जुडे हैं। ऐसे अपराधों को ही इस तरह से निपटाना चाहिए।”

उनके मुताबिक, यह पेपर 12 टैक्स पॉलिसी रिपोर्ट्स का हिस्सा है, जो नीति आयोग दिसंबर 2025 तक जारी करेगा। इन सुझावों से सरकार को नया इनकम टैक्स एक्ट बनाने में मदद मिलेगी, जो 1 अप्रैल, 2026 से लागू होगा।

ट्रस्ट-बेस्ड टैक्स सिस्टम को समर्थन

रिपोर्ट में कहा गया है कि नया टैक्स कानून 1961 के इनकम टैक्स एक्ट की जगह लेगा और इसमें 13 अपराधों को हटाया गया है, लेकिन अभी भी 35 गलतियां या चूक 13 नियमों के तहत आपराधिक हैं, जिनमें जेल और जुर्माने की सजा हो सकती है। इनमें से 25 मामलों में अनिवार्य जेल की सजा है।

रिपोर्ट में लिखा है, “ये कदम सरकारी खजाने को बचाने और टैक्स चोरी रोकने के लिए हैं, लेकिन इतने सारे आपराधिक नियम और दोषी मानसिकता की धारणा से पता चलता है कि आपराधिक कानून को सामान्य प्रवर्तन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, न कि आखिरी उपाय के तौर पर।”

वैश्विक मानकों के आधार पर, रिपोर्ट कहती है कि रिटर्न फाइल करने में देरी, प्रक्रियात्मक गलतियां या जानकारी न देना जैसे अपराधों से सरकारी खजाने को सीधा या बडा नुकसान नहीं होता। इन्हें सिविल पेनल्टी से निपटाना चाहिए।

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लचीली सजा और जजों को फैसला लेने की आजादी

पेपर में कुछ अहम सुझाव हैं:

  • अनिवार्य जेल की सजा हटाना
  • जजों को सजा तय करने की आजादी देना
  • दोषी इरादे की धारणा को खत्म करना
  • पहली बार या छोटे स्तर के अपराधों के लिए लचीली, गैर-जेल सजा
  • आपराधिक नियमों की समय-समय पर समीक्षा

रिपोर्ट में अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि वहां के टैक्स सिस्टम में जानबूझकर और धोखाधडी वाले अपराधों के लिए ही सजा दी जाती है, जबकि सामान्य गलतियों को प्रशासनिक या आर्थिक दंड से निपटाया जाता है। भारत को भी ऐसा ही ट्रस्ट-बेस्ड सिस्टम अपनाने से फायदा हो सकता है।

जन विश्वास एक्ट के तहत चल रही कोशिशों को बढावा

यह पेपर सरकार की ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन – ऑनरिंग द ऑनेस्ट पहल और जन विश्वास एक्ट (2023) पर आधारित है, जिनका मकसद नियमों को आसान करना और बिजनेस कानूनों में आपराधिकता कम करना है।

नांगिया एंडरसन एलएलपी के टैक्स पार्टनर संदीप झुनझुनवाला ने कहा, “जब आपराधिक सजा को बिना सोचे-समझे लागू किया जाता है, तो डर का माहौल बनता है, जिससे सच्चे उद्यमी हतोत्साहित होते हैं और कोर्ट पर बोझ बढता है। डिक्रिमिनलाइजेशन से स्वैच्छिक अनुपालन बढेगा, प्रवर्तन आसान होगा और नियम आनुपातिकता और आर्थिक व्यावहारिकता के सिद्धांतों के अनुरूप होंगे।”

First Published - October 10, 2025 | 7:16 PM IST

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