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वोडा-आइडिया में अपनी हिस्सेदारी नहीं बढ़ाएगी सरकार : सिंधिया

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र (जो वर्तमान में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 12-14 फीसदी हिस्सा है) अगले दशक में बढ़कर जीडीपी का करीब 20 फीसदी हो जाएगा

Last Updated- October 09, 2025 | 10:07 PM IST

केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरुवार को कहा कि सरकार द्वारा वीआई (वोडाफोन आइडिया) में अपनी हिस्सेदारी 49 फीसदी से अधिक बढ़ाने की संभावना नहीं है।

इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025 के दूसरे दिन संवाददाता सम्मेलन में सिंधिया ने कहा कि भारत के दूरसंचार उद्योग में चार दूरसंचार सेवा प्रदाता और सैकड़ों इंटरनेट सेवा प्रदाता शामिल हैं, जिससे उनके बीच पर्याप्त प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित होती है।

सिंधिया ने कहा, और मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँ? क्योंकि दूरसंचार सेवा की पहुंच बहुत ज्यादा है, देश की कुल 1.4 अरब आबादी में से हमारे यहां 1.2 अरब ग्राहक हैं। उन्होंने कहा कि इसी प्रतिस्पर्धा के कारण देश में वॉयस और डेटा दरें दुनिया में सबसे कम हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र (जो वर्तमान में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 12-14 फीसदी हिस्सा है) अगले दशक में बढ़कर जीडीपी का करीब 20 फीसदी हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले दशक में औद्योगिक क्रांति को डिजिटल रूप से प्रभावी ढंग से दोहराया है तथा विश्व के सबसे बड़े डिजिटल राजमार्ग के माध्यम से एक अरब से अधिक लोगों को जोड़ा है।

अगर आप देशों को उनकी डिजिटल रूप से जुड़ी आबादी के आधार पर वर्गीकृत करें तो भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा डिजिटल राष्ट्र है।

सिंधिया ने गुरुवार को एक बार फिर स्वदेशी रूप से विकसित 4जी स्टैक की निर्यात तैयारी पर प्रकाश डाला और कहा कि इस कार्य को शुरू करने के 20 महीनों के भीतर देश के भीतर ही पूरा हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर ढांचा तैयार कर लिया गया है।

दूरसंचार सचिव नीरज मित्तल ने कहा, हमारे पास पहले से ही करीब 2 करोड़ ग्राहक हैं, जो कई छोटे देशों की आबादी से भी ज्यादा है। इसलिए हम आगे बढ़ने की स्थिति में हैं। हम इस पर विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। वे मोबाइल कांग्रेस 2025 के मौके पर पत्रकारों से बात कर रहे थे।

मित्तल ने कहा कि स्पेक्ट्रम नीलामी का अगला दौर दूरसंचार कंपनियों की इच्छा पर निर्भर करेगा और सरकार दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और अन्य हितधारकों से बात करने के बाद ही बोली लगाने के बारे में निर्णय लेगी।

मित्तल ने यह भी कहा कि दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा हालांकि स्पेक्ट्रम की ऊंची आरक्षित कीमतों पर चिंता जताने की खबरें आई हैं, लेकिन किसी भी कंपनी ने सरकार से ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया है।

मित्तल ने कहा, मैंने एक बार भी किसी टीएसपी (दूरसंचार सेवा प्रदाता) को यह लिखते या याचिका देते नहीं सुना कि वे उच्च आरक्षित मूल्य के कारण स्पेक्ट्रम का उपयोग नहीं कर रहे हैं।

First Published - October 9, 2025 | 9:48 PM IST

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