टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा ने स्टार्टअप इकाइयों को परवान चढ़ने में भी मदद की है। रतन टाटा ने पिछले कई वर्षों के दौरान कई सफल स्टार्टअप इकाइयों में निवेश किए थे। रतन टाटा का वह बयान काफी मशहूर हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने इन इकाइयों में निवेश को ‘सीखने के नए अनुभव’ के तौर पर देखा है।
पिछले एक दशक के दौरान रतन टाटा ने पेटीएम, ओला और स्नैपडील में निवेश कर उन्हें बुलंदी छूने में मदद मदद पहुंचाई। उदाहरण के लिए पेटीएम की शुरुआत एक मामूली मोबाइल रीचार्ज प्लेटफॉर्म के रूप में हुई थी मगर टाटा समूह से निवेश के बाद इसने देश में डिजिटल क्रांति की शुरुआत में अहम भूमिका निभाई और वित्त-तकनीक क्षेत्र की एक नायाब कंपनी बन गई।
इसी तरह, ओला भी एक बड़ी कंपनी बन गई है और अब इसकी तीन सहायक इकाइयां हैं। इनमें एक एआई कंपनी कृत्रिम, दूसरी इलेक्ट्रिक वाहन कारोबार इकाई ओला इलेक्ट्रिक और तीसीर ओला कैब हैं। रतन टाटा नई प्रतिभाओं एवं नई पहल को तवज्जो देते थे और उनमें निवेश करने की चाहत भी रखते थे। टाटा का श्वान प्रेम किसी से छुपा नहीं था। उनके इस लगाव को देखकर एक बार टाटा एलेक्सी के एक डिजाइन इंजीनियर ने उन्हें एक पत्र लिखा।
इस पत्र में उस इंजीनियर ने एक संयुक्त उद्यम शुरू करने का प्रस्ताव दिया था जिसके तहत गलियों में लावारिस कुत्तों के लिए एक सुरक्षा कॉलर तैयार करने की बात कही गई थी ताकि आपस में लड़ाई में उनकी जान बच सके।
वह इंजीनियर शांतनु नायडू थे जो बाद में टाटा ने निकट सहयोगी बने और बाद में टाटा ट्रस्ट के सबसे कम उम्र के महाप्रबंधक बन गए। दोनों की मित्रता प्रगाढ़ हुई तो रतन टाटा ने नायडू की स्टार्टअप इकाई गुडफेलोज में निवेश किया। गुडफेलोज वरिष्ठ नागरिकों की सहायता करने के उद्देश्य से बनाई गई है। टाटा ने विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 40 नई स्टार्टअप इकाइयों में निवेश किए।