मुकेश अंबानी की अगुआई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) अपने नए ऊर्जा कारोबार और पेट्रोकेमिकल विस्तार पर 75,000-75,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बना रही है। अपने वित्त वर्ष 2025 के नतीजे को लेकर वक्तव्य में अंबानी ने कहा कि कंपनी ने अक्षय ऊर्जा और बैटरी परिचालन में अपनी परियोजनाओं के लिए मजबूत आधारशिला रखी है।
अंबानी ने कहा, आने वाली तिमाहियों में हम इस कारोबार को इनक्यूबेशन से ऑपरेशनलाइजेशन की ओर बढ़ते देखेंगे। मेरा दृढ़ विश्वास है कि नई ऊर्जा वृद्धि इंजन रिलायंस, भारत और दुनिया के लिए अहम वैल्यू सृजित करेगी।
दिग्गज कंपनी ने 1 गीगावॉट क्षमता वाला हेट्रोजंक्शन (एचजेटी) सोलर मॉड्यूल विनिर्माण केंद्र चालू किया है और उसका इरादा साल 2026 तक इसे पूरी तरह से एकीकृत 10 गीगावॉट क्षमता तक ले जाने का है। कंपनी ने कहा, इस विस्तार से रिलायंस के एबिटा में 6,000 करोड़ रुपये जुड़ने का अनुमान है।
कंपनी का अनुमान है कि नए ऊर्जा वर्टिकल से लाभ वित्त वर्ष 2029 और 2031 के बीच कंपनी के पारंपपिक तेल से लेकर केमिकल कारोबार के बराबर हो सकती है। समय के साथ नया ऊर्जा कारोबार एकीकृत कर पश्चात लाभ में 50 फीसदी से ज्यादा का योगदान कर सकता है।
रिलायंस के सीएफओ वी. श्रीकांत ने निवेशक प्रस्तुति के दौरान कहा, हम अच्छे खासे पूंजीगत खर्च को बरकरार रखे हुए हैं। इसका बड़ा हिस्सा जियो पर था और अब यह स्पष्ट है कि भारी पूंजीगत व्यय में वृद्धि का दौर हमारे पीछे रह गया है।
श्रीकांत ने कहा, नई ऊर्जा के लिए हमने पूरी गीगा फैक्ट्री स्थापित करने की खातिर 75,000 करोड़ रुपये की बात की थी और हमने जो खर्च किया है और जो प्रतिबद्धता जताई है, उसके हिसाब से यह कहना उचित है कि हम पहले से ही वहां पहुंच चुके हैं। बड़े निवेश तब शुरू होंगे जब हम पैनलों से बिजली पैदा करना शुरू करेंगे, लेकिन यह आगे की बात है।
कुल मिलाकर श्रीकांत ने संकेत दिया कि भविष्य में पूंजीगत व्यय को राजस्व के प्रतिशत के रूप में मापा और उससे जोड़ा जाएगा।
कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि नई ऊर्जा परियोजनाएं मजबूत प्रगति कर रही हैं। कंपनी के एक अधिकारी ने कहा, पॉलीसिलिकॉन, सेल मॉड्यूल, ग्लास और पीओई समेत संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के लिए इंजीनियरिंग पूरी हो चुकी है। उपकरणों के ऑर्डर दे दिए गए हैं और निर्माण कार्य चल रहा है। हम 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत तक सभी कारखानों को चालू करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और उसके तुरंत बाद उत्पादन शुरू हो जाएगा।
बैटरी तकनीक पर, रिलायंस लिथियम आयरन फॉस्फेट (एलएफपी) पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसमें बड़े प्रारूप वाले प्रिज्मीय सेल हैं, जिन्हें उपयोगिता के पैमाने पर ऊर्जा भंडारण के लिए डिजायन किया गया है। अधिकारी ने कहा, हम इस मोर्चे पर भी अच्छी तरह से आगे बढ़ रहे हैं और निर्माण पहले से ही चल रहा है। 2026 तक विनिर्माण शुरू हो जाएगा और बैटरी पैक से शुरू होकर बाद में सेल उत्पादन की ओर बढ़ेगा। हम बैटरी सामग्री सहित संपूर्ण मूल्य श्रृंखला का निर्माण कर रहे हैं।