खाना और रोजमर्रा के सामान पहुंचाने वाली कंपनी स्विगी (Swiggy) के सफल आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के कुछ दिन बाद प्रोसस के मुख्य निवेश अधिकारी एर्विन टू और ग्रोथ इन्वेस्टमेंट (भारत और एशिया) प्रमुख आशुतोष शर्मा ने सुरजीत दास गुप्ता के साथ वीडियो बातचीत में भारत और भारत से इतर अपनी रणनीति के बारे में बताया। स्विगी में प्रोसस सबसे बड़ी शेयरधारक है और नैस्पर के बहुलांश निवेश वाला यह विश्व के सबसे बड़े प्रौद्योगिकी निवेश समूह में से एक है।
बीते तीन वर्षों में स्टार्टअप कंपनियों में निवेश को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है और रणनीति व फोकस पर फिर से सोचने की जरूरत है। प्रोसस ने भारत में इसे कैसे प्रबंधित किया?
एर्विन टूः भारत हमारे चार प्रमुख क्षेत्रों में से एक रहा है और आगे भी रहेगा। हमने देश के कई संभावनाशील उद्यमों में 8 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है, जिनमें स्विगी की हमारी हाल की सफलता शामिल है। भारत हमारे वैश्विक निवेश पोर्टफोलियो का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाला हिस्सा है। कुछ भी हो हमारा लक्ष्य इस मॉडल की सफलता को दुनियाभर में दोहराने का है।
आने वाले वर्षों में भारत में किस तरह के निवेश की उम्मीद कर रहे हैं?
एर्विनः हर साल निवेश बढ़ेगा। हमने साल 2021 में भारत में बिलडेस्क के सौदे में 4.7 अरब का अब तक का सबसे बड़ा निवेश सौदा देखा। हालांकि, यह पूरा नहीं हो पाया। मगर हम भारत के लिए कोई खास रकम निर्धारित नहीं करते हैं।
क्या रूस-यूक्रेन संकट से आपकी निवेश रणनीति प्रभावित हुई है?
एर्विनः फरवरी 2022 में जब युद्ध छिड़ गया तो हमने बड़े निवेश कम कर दिया। लेकिन अपने उद्यम कारोबार के जरिये शुरुआती स्तर के निवेश जारी रखे। ऐसा इसलिए था क्योंकि हमने उस स्तर पर बेहतर जोखिम-प्रतिफल का अनुपात देखा था। भारत में भी यही स्थिति थी। पिछले साल यह मुख्य तौर पर हमारे पोर्टफोलियो को ठीक करने को लेकर था।
क्या प्रोसस ने भारत में अपना सेक्टर फोकस बदल दिया है?
आशुतोष शर्माः कुछ विकास हुआ है। भारत काफी विविधतापूर्ण देश है और जिस तरह से आप और हम खरीदारी करते हैं वह कस्बाई और छोटे शहरों में रहने वाले ग्राहकों के खरीदारी करने के तौर-तरीकों से काफी अलग है। हमने सफलता की यही स्थिति मीशो के साथ भी देखी है। अब हम यह देख रहे हैं कि वित्तीय प्रौद्योगिकी, मोबिलिटी और कॉमर्स जैसे इलाकों में 20 से 30 करोड़ भारतीयों के लिए आगे क्या होने वाला है।
स्विगी का आईपीओ आपके लिए कितना सफल रहा?
आशुतोषः हमने स्विगी में करीब 1.3 अरब डॉलर का निवेश किया। फिलहाल उसका मूल्यांकन 4 अरब डॉलर से अधिक हो गया है और शानदार रिटर्न मिल रहा है। आंशिक निकासी के बाद भी हम उसके सबसे बड़े शेयरधारक बने हुए हैं। मेकमायट्रिप और फ्लिपकार्ट के बाद यह भारत में तीसरी ऐसी कंपनी है, जिससे हम बाहर निकले हैं।
क्या आपको दीर्घावधि निवेश पसंद है?
एर्विनः हमने 20 साल से अधिक तक टैंसेंट में निवेश रखा है। दीर्घावधि निवेश शक्तिशाली निवेश रणनीति होती है। लेकिन इसमें धैर्य की जरूरत है और कभी-कभी अच्छी कंपनी तलाशने में थोड़ी किस्मत भी होना जरूरी है।
प्रोसस कंपनियों में अल्पांश हिस्सेदारी और बोर्ड में सीट क्यों लेती है?
एर्विनः हमारा लक्ष्य वैश्विक स्तर पर अपने निवेश में पर्याप्त हिस्सेदारी रखने का है, चाहे वह भारत हो या ब्राजील, रोमानिया या पोलैंड क्योंकि हमारे पोर्टफोलियो का शुद्ध संपत्ति मूल्य करीब 160 अरब डॉलर है (बाजार पूंजीकरण 95 अरब डॉलर)। छोटी हिस्सेदारी से इसमें कुछ फायदा नहीं होता है। अगर हम किसी कंपनी को पसंद करते हैं तो हमारे लिए बेहतर यही होगा कि हम अधिक से अधिक शेयरों के साथ हिस्सेदारी रखें। इसके अलावा, बोर्ड में शामिल होने का मतलब यह कतई नहीं होता है कि हम प्रभाव जमाना चाहते हैं, लेकिन हमारी मंशा रहती है कि हम बेहतर सलाह दे सकें।