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पूंजीगत खर्च में पीछे रहीं निफ्टी-50 कंपनियां, रिलायंस इंडस्ट्रीज की कटौती का बड़ा असर

निफ्टी 50 सूचकांक में शामिल देश की शीर्ष कंपनियों का कुल पूंजीगत खर्च मार्च में समाप्त वित्त वर्ष में 5.89 लाख करोड़ रुपये रहा।

Last Updated- August 16, 2024 | 10:48 PM IST
Capex

निफ्टी 50 सूचकांक में शामिल देश की शीर्ष कंपनियों का कुल पूंजीगत खर्च मार्च में समाप्त वित्त वर्ष में 5.89 लाख करोड़ रुपये रहा। वित्त वर्ष 2023 में इन कंपनियों के 7.43 लाख करोड़ रुपये के कुल पूंजीगत खर्च से यह 20.7 फीसदी कम रहा। स्टॉक एक्सचेंज के पास जमा कंपनियों की सालाना रिपोर्ट से ये आंकड़े मिले हैं।

सकल संप​त्ति निर्माण और पूंजीगत कार्यों की प्रगति में गिरावट का मुख्य कारण देश की सबसे मूल्यवान कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का पूंजीगत खर्च घटना है। रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) की सालाना रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने वित्त वर्ष 2024 में 1.39 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत खर्च किया, जो वित्त वर्ष 2023 के 2.45 लाख करोड़ रुपये से कम है।

आरआईएल को छोड़ दें तो निफ्टी-50 की बाकी कंपनियों का सकल संप​त्ति निर्माण लगभग सपाट रहा है। पूंजीगत खर्च में कटौती के बावजूद आरआईएल वित्त वर्ष 2024 में सकल संप​त्ति निर्माण में सबसे ऊपर रही है और उसके बाद सार्वजनिक क्षेत्र की तेल उत्पादक कंपनी ओएनजीसी है। ओएनजीसी ने वित्त वर्ष 2024 में 68,418 करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च किया था। इसी तरह आदित्य बिड़ला समूह की हो​ल्डिंग कंपनी ग्रासिम ने 46,612 करोड़ रुपये और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी ने 43,614 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय किया।

आदि​त्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने इसी बुधवार को शेयरधारकों से कहा था, ‘अल्ट्राटेक ने क्षमता में बहुत विस्तार किया है, जो सीमेंट क्षेत्र में अभूतपूर्व है। वित्त वर्ष 2024 में विस्तार परियोजनाओं से कंपनी की सीमेंट उत्पादन क्षमता में 1.33 करोड़ टन का इजाफा हुआ है। इस साल अप्रैल में कंपनी की सालाना उत्पादन क्षमता 15 करोड़ टन के पार चली गई। कंपनी की क्षमता अमेरिका की उत्पादन क्षमता से 150 फीसदी और यूरोप से 80 फीसदी ज्यादा है।’

अल्ट्राटेक सीमेंट ने अगले तीन साल में 32,400 करोड़ रुपये पूंजीगत निवेश की योजना बनाई है।

पिछले कुछ वर्षों में देश में पूंजीगत निवेश में सरकार का अहम योगदान रहा है और विनिर्माण क्षेत्र में निजी निवेश सुस्त बना हुआ है। देश में खपत कमजोर रहने, विदेश में मांग कम होने और चीन से सस्ता आयात आने के कारण देसी कंपनियां विनिर्माण क्षमता बढ़ाने के मामले में कदम फूंक-फूंककर रख रही हैं।

भारतीय कंपनी जगत के प्रमुखों का कहना है कि नई विनिर्माण क्षमता बनाने पर खर्च करने से पहले वे खपत मांग बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार वित्त वर्ष 2024 के अंत में विनिर्माण क्षेत्र में 76.8 फीसदी क्षमता का उपयोग किया जा रहा था, जो 11 साल में सबसे अ​धिक है।

​भारतीय रिजर्व बैंक ने 8 अगस्त को मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा था कि बैंकों और कंपनियों की मजबूत बैलेंस शीट, पूंजीगत खर्च पर सरकार के जोर और निजी निवेश में सुधार के संकेत से भविष्य में निवेश गतिवि​धियों में तेजी आएगी।

भारत के उद्योग घरानों ने आने वाले वर्षों के लिए टाटा और अदाणी समूह की अगुआई में भारीभरकम निवेश योजनाओं का ऐलान किया है। टाटा समूह ने विमान कारोबार से लेकर अपने सभी व्यवसायों में 120 अरब डॉलर ​के निवेश की योजना घोषित की है। अदाणी समूह ने अगले एक दशक में 100 अरब डॉलर के निवेश की योजना बनाई है। इनमें से ज्यादातर निवेश नए हवाई अड्डों, बंदरगाहों और हरित ऊर्जा परियोजनाओं में किया जाएगा।

मॉर्गन स्टैनली का अनुमान है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज अगले एक दशक में 60 अरब डॉलर निवेश करेगी। इस साल जून में जेएसडब्ल्यू समूह ने ऐलान किया था कि उसका लक्ष्य 2030 तक 70 अरब डॉलर निवेश करना है। समूह नए बंदरगाहों, स्टील और बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर ध्यान दे रहा है।

जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्या​धिकारी जयंत आचार्य ने जून तिमाही के नतीजों के बाद कहा था, ‘कंपनी ने जून तिमाही में 4,466 करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च किया है और खनन के लिए 228 करोड़ रुपये अग्रिम भुगतान किया है। वित्त वर्ष 2025 में कुल 20,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत निवेश की उम्मीद है।’

(साथ में समीर मुलगांवकर)

First Published - August 16, 2024 | 10:48 PM IST

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