facebookmetapixel
BFSI Summit: भारत का वित्तीय क्षेत्र सबसे मजबूत स्थिति में, सरकार और आरबीआई ने दी जिम्मेदार वृद्धि की नसीहत2025 बनेगा भारत के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ वर्ष, BFSI समिट में बोले विदेशी बैंकरBFSI Summit: अधिग्रहण के लिए धन मुहैया कराने में नए अवसर देख रहा है बैंकिंग उद्योगBSFI Summit: ‘एमएफआई के दबाव से जल्द बाहर निकल आएंगे स्मॉल फाइनैंस बैंक’BFSI Summit: दुनिया के शीर्ष 20 में से भारत को कम से कम 2 देसी बैंकों की जरूरतBFSI Summit: तकनीक पर सबसे ज्यादा खर्च करने वालों में शुमार है स्टेट बैंक- शेट्टीBFSI Summit: वित्त वर्ष 2025-26 में वृद्धि दर 7 प्रतिशत से अधिक रहे तो मुझे आश्चर्य नहीं – सीईए अनंत नागेश्वरनBFSI Summit: बीएफएसआई की मजबूती के बीच MSMEs के लोन पर जोरBFSI Summit: कारगर रहा महंगाई का लक्ष्य तय करना, अहम बदलाव की जरूरत नहीं पड़ीBFSI Summit: बढ़ती मांग से कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार सुस्त

2030-31 तक 5 लाख इलेक्ट्रिक कारें बेचेगी मारुति: Maruti Suzuki चेयरमैन

Maruti Suzuki के चेयरमैन 2030-31 तक कारों की कुल बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी बढ़ाकर 15 से 20 फीसदी करना चाहते हैं

Last Updated- August 08, 2023 | 11:30 PM IST
Government has taken many steps, now industry should take initiative: Bhargava

मारुति सुजूकी के बोर्ड ने मूल कंपनी सुजूकी मोटर कॉरपोरेशन के गुजरात संयंत्र के अधिग्रहण के एवज में उसे तरजीही शेयर जारी करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। इससे कंपनी को इलेक्ट्रिक कार सहित अन्य मॉडलों का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। मारुति सुजूकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने सुरजीत दास गुप्ता से बातचीत में कंपनी की ईवी योजना, सुजूकी मोटर के गुजरात संयंत्र के अधिग्रहण की जरूरत एवं अन्य मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। पेश हैं मुख्य अंश:

सुजूकी मोटर के गुजरात संयंत्र के अधिग्रहण के बाद ईवी के लिए मारुति की क्या योजना रहेगी?

भारत में ईवी की वृद्धि सुस्त रही है। हम 2030-31 तक कारों की कुल बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी बढ़ाकर 15 से 20 फीसदी करना चाहते हैं। संख्या के लिहाज से यह करीब 5 लाख होगी। यह कोई छोटी संख्या नहीं है, मगर हम वहां तक पहुंचने की पूरी कोशिश करेंगे। हमें उम्मीद है कि तब तक घरेलू इलेक्ट्रिक कार बाजार का आकार 60 से 70 लाख सालाना होगा। हमारे पास कम से कम छह मॉडल होंगे और हम प्रीमियम स्तर से शुरुआत करेंगे जो संभवत: एसयूवी होगा।

तो क्या आप प्रतिस्पर्धा के लिहाज से इलेक्ट्रिक कार श्रेणी में सबसे आगे रहेंगे?

बेशक, क्योंकि हमारे पास हाइब्रिड कारें भी होंगी। जहां तक मुझे पता है हमारा कोई भी प्रतिस्पर्धी इस पर काम नहीं कर रहा है और इसमें एथनॉल भी शामिल है। उदाहरण के लिए, ऐसा कोई देश नहीं है जिसके पास बायोगैस की इतनी अधिक क्षमता मौजूद है। हाइब्रिड कार के लिए हमारा लक्ष्य अलग है।

क्या आप कई अन्य वाहन कंपनियों की तरह अपने ईवी कारोबार के लिए एक अलग कंपनी बनाने की तैयारी कर रहे हैं?

महज 8 वर्षों में 22 लाख से 40 लाख क्षमता तक पहुंचना बहुत बड़ी कवायद है। लेकिन नहीं, हम इलेक्ट्रिक कारोबार को बंद नहीं करेंगे बल्कि इसे उत्पादन प्रणाली का हिस्सा बनाना होगा। हम नहीं चाहते कि इलेक्ट्रिक टीम केवल अपने उत्पादों को आगे बढ़ाए। हम चाहते हैं कि समग्र तौर पर कंपनी का विकास हो। जाहिर तौर पर कंपनी के कुछ पहलुओं को केंद्रीकृत और कुछ को विकेंद्रीकृत किया जाना चाहिए। हमें इस पर काम करना होगा।

आपने सुजूकी मोटर के गुजरात संयंत्र को हासिल करने के लिए तरजीही शेयर का रास्ता क्यों चुना?

हमने जो किया है उससे इक्विटी में केवल 4 फीसदी की कमी आएगी और बदले में हम अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाकर सालाना 8 लाख वाहन तक कर सकेंगे। अगर मारुति सुजूकी द्वारा जारी किए गए शेयरों की संख्या 31 करोड़ है। हम करीब 1.3 करोड़ शेयर जारी करेंगे जो करीब 4 फीसदी है। इससे शेयरों की कुल संख्या बढ़कर 32.3 करोड़ हो जाएगी। सुजूकी के पास अब 17.5 करोड़ शेयर (56.4 फीसदी) हैं और तरजीही शेयर जारी होने के बाद उसके पास 18.8 करोड़ शेयर (58.2 फीसदी) होंगे। इसलिए सुजूकी की हिस्सेदारी केवल 1.8 फीसदी ही बढ़ेगी।

कंपनी के पुनर्गठन को लेकर आप कुछ सोच रहे हैं?

फिलहाल तो नहीं, मगर हमें इस पर विचार कर सकते हैं। वैश्विक स्तर पर जनरल मोटर्स जैसे कई कारोबारी ढांचे हैं जिनमें कई ब्रांड होते हैं। इनकी बिक्री अलग इकाई के तौर पर होती है। फोक्सवैगन ने कई ब्रांड खरीदे हैं और इस कारण इसने कई सहायक इकाइयां तैयार की हैं। मगर उत्पाद संबंधी योजना और तकनीकी विकास को केंद्रीक्रत किया जाना जरूरी है और कर्मचारी नीति को लेकर भी योजना बनानी होगी। मगर उत्पादन इकाइयों को यथासंभव स्वायत्तता दी जानी चाहिए।

एसएमजी और एमएसआईएल के आपस में विलय के बाद सुजूकी मोटर कंपनी भारत में क्या करेगी?

कंपनी लीथियम-आयन बैटरी संयंत्र स्थापित करेगी जिस पर 7,300 करोड़ रुपये लागत आएगी। इस संयंत्र पर कंपनी का पूर्ण नियंत्रण होगा। हमें इन बैटरियों की आवश्यकता होगी जिन्हें हम सुजूकी मोटर कंपनी से खरीदेंगे। कंपनी नई तकनीक में शोध एवं विकास कार्य भी करेगी और इसके लिए वह एक कंपनी भी तैयार कर चुकी है। मगर कंपनी अब हमारे लिए कोई वाहन नहीं बनाएगी।

मारुति ने कहा था कि वह ऐपल की तरह ही ऐसेट लाइट कंपनी बनना चाहती है और संरचना, विपणन और बिक्री पर अधिक ध्यान देगी। अब इस रणनीति में बदलाव क्यों हो रहा है?

अब समय बदल गया है। उस समय हमें बिक्री एवं मार्केटिंग टीम को मजबूत बनाने की जरूरत महसूस हो रही थी। इसका कारण यह था कि 2011-12 में कंपनी का प्रदर्शन अच्छा नहीं था और हमारी बाजार हिस्सेदारी कम होकर 50 प्रतिशत से भी कम रह गई थी। सुजूकी ने सोचा कि वह रकम निवेश करेगी और संयंत्र बनाने की कमान संभालेगी। उसने हमें मार्केटिंग और बिक्री पर अधिक रकम खर्च करने के लायक आत्मविश्वास दिया। हमने 18,000 करोड़ रुपये बचाए हैं।

तो फिर रणनीति क्यों बदली गई है?

हालात बदल गए हैं। हमारे मार्केटिंग एवं बिक्री टीम अब काफी मजबूत हो गई है। इसके साथ ही हम अपनी क्षमता बढ़ाकर सालाना 40 लाख कर रहे हैं। इसके अलावा, हमें पांच विभिन्न तकनीकों के साथ उत्पादन में तालमेल बैठाना होगा और 28 मॉडलों के साथ काम करना होगा जो 2031 तक हम हासिल कर लेंगे। इस काम को अंजाम देने के लिए कंपनी का पुनर्गठन करना होगा। अगर सुजूकी विनिर्माण का एक हिस्सा देखती तो फिर ऐसा कर पाना मुनासिब नहीं हो पाता। इसे देखते हुए हमने सोचा कि कारोबार का विलय जरूरी हो गया है और रणनीतिक योजना एक ही जगह बनाई जाए तो बेहतर होगा।

First Published - August 8, 2023 | 10:02 PM IST

संबंधित पोस्ट