जोसेफ विलियम फोस्टर को दुनिया भर में रीबॉक के संस्थापक के रूप में जाने जाते हैं। मगर उनके दादा ने 1895 में स्पाइक्ड रनिंग शू उतारकर वैश्विक खेल जगत में क्रांति ला दी थी। खिलाड़ियों के लिए खास तौर पर तैयार किए गए उसी जूते ने 20वीं सदी में और यहां तक कि 21वीं सदी में भी वैश्विक स्तर पर लाखों खिलाड़ियों की सफलता में अहम भूमिका निभाई।
फोस्टर ने 90 वर्ष की उम्र में 2025 में 25 वर्षीय उद्यमी बेन बेइस के साथ साझेदारी की है ताकि ग्राहकों के लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिये डिजाइन किए गए फुटवियर को दुनिया में पहली बार वाणिज्यिक तौर पर उपलब्ध कराया जा सके।
फोस्टर की नई कंपनी सिंटिले इसके लिए न केवल अमेरिका एवं यूरोप बल्कि भारतीय बाजार पर भी नजर रख रही है। कंपनी भारत में भी अपना यह उत्पाद बनाना और बेचना चाहती है। इसके लिए वह कई कारखानों के साथ बातचीत शुरू भी कर चुकी है।
फोस्टर ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हम इतिहास के उस दौर में चले गए हैं जहां एआई डिजाइन से लेकर 3डी प्रिंटिंग और स्कैन के जरिये आपके पैर का आकार लेने और उत्पाद तैयार करने में अहम भूमिका निभा रहा है। मैं समझता हूं कि भारतीय बाजार का तेजी से विस्तार हो रहा है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। इसे भारत में लॉन्च होने में अधिक समय नहीं लगेगा।’ उन्होंने संकेत दिया कि वह इस साल के अंत तक भारत आएंगे।
दिलचस्प है कि फोस्टर के इस नए उद्यम के पीछे भी एक भारतीय का दिमाग है। बेंगलूरु के स्वतंत्र डिजाइनर केदार बेंजामिन सबसे पहले वाणिज्यिक तौर पर एआई के जरिये डिजाइन किए गए इन जूतों के डिजाइन डायरेक्टर थे। कंपनी ने जनवरी में 150 डॉलर प्रति जोड़ी की कीमत के साथ इसे बाजार में उतारा था। नाइकी और एडिडास जैसी कंपनियां कथित तौर पर बाजार में 3डी प्रिंट वाले जूते उपलब्ध करा रही हैं, लेकिन ऐसे उत्पाद सीमित मात्रा में ही उपलब्ध हैं। जेलरफेल्ड, वाइब्रम, शूएआई आदि कंपनियां कथित तौर पर ऐसे उत्पादों के लिए ब्रिटिश फुटवियर एसोसिएशन के साथ काम कर रही हैं।
वेइस ने कहा, ‘बाजार में ऐसी तमाम अवधारणाएं मौजूद हैं। कई ब्रांड अपने उत्पाद लाने की तैयारी में हैं। हम ग्राहकों के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।’
ग्राहकों के लिए सबसे अधिक आकर्षक बात यह है कि सिंटिले जूते के आकार की पारंपरिक अवधारणा को छोड़ रही है। इससे ग्राहकों को फोन स्कैन का उपयोग करते हुए उनके पैरों के आकार के लिहाज से बिल्कुल सही उत्पाद के लिए ऑर्डर देने अवसर मिलता है।
वेइस ने कहा, ‘अब हम अपने उत्पादों को भारतीय बाजार में भेजने के लिए तैयार हैं। भारत में स्थानीय तौर पर उत्पादन करने के लिए कुछ कारखानों के साथ हमारी बातचीत पहले ही हो चुकी है। हमें कई कारखानों से नमूने मिल चुके हैं।’
फोस्टर का मानना है कि इससे वैश्विक फुटवियर उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। यह उद्योग 2024 में करीब 400 अरब डॉलर का था जो 2032 तक बढ़कर 574 अरब डॉलर के पार पहुंच जाएगा।
खबरों में कहा गया है कि सिंटिले की टीम जेनरेटिव आर्टिफिशल इंटेलिजेंस प्रोग्राम मिडजर्नी का उपयोग करते हुए जूते का आकार और डिजाइन तैयार कर रही है। उसके बाद डिजाइन टीम एआई से तैयार जूते के चित्र में सुधार करती है और उपयुक्त स्केच तैयार करती है। फिर विजकॉम नामक एक अन्य एआई टूल के साथ 3डी मॉडल तैयार किया जाता है। अंतिम चरण में जूते के बाहरी हिस्से पर पैटर्न और बनावट तैयार करने में जनरेटिव एआई का उपयोग किया जाता है।