खनन व धातु दिग्गज वेदांत के निवेशक मंगलवार को परेशान नजर आए क्योंकि कंपनी के शेयर की कीमत घटी और उसकी मूल कंपनी के बॉन्ड रिटर्न में इजाफा हुआ।
रेटिंग एजेंसी ने चिंता जताई है कि कंपनी को इस साल परिपक्व हो रहे कर्ज के पुनर्भुगतान में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसी का असर शेयर व बॉन्ड पर पड़ा।
मंगलवार को वेदांत का शेयर बीएसई पर 7 फीसदी टूटकर 268 रुपये का रह गया। कंपनी पिछले एक साल में बाजार मूल्यांकन का 30 फीसदी गंवा चुकी है और इस साल जनवरी से अब तक उसमें 13 फीसदी की नरमी आई है।
मूल कंपनी वेदांत रिसोर्सेस के बीएसई में सूचीबद्ध बॉन्ड का प्रतिफल बढ़कर 39.8 फीसदी पर पहुंच गया, जिसके बाद निवेशक समूह के कर्ज के हालात को लेकर चिंतित हुए।
समूह की जिंक कारोबार का विलय हिंदुस्तान जिंक के साथ करने की योजना सरकार 17 फरवरी को रद्द कर चुकी है। हिंदुस्तान जिंक में भारत सरकार की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी है और उसने कहा है कि वह इस विलय का विरोध करेगी क्योंकि यह छोटे शेयरधारकों के हितों के खिलाफ है।
कंपनी इससे पहले इलेक्ट्रोस्टील स्टील और अपनी तूतीकोरिन कॉपर इकाई की बिक्री की कोशिश कर चुकी है, लेकिन उसे कोई खरीदार नहीं मिला। वेदांत के प्रवर्तक की पूरी हिस्सेदारी गिरवी रखी हुई है। यह जानकारी बीएसई के दिसंबर के आंकड़े से मिली। वेदांत रिसोर्सेस का एकीकृत कर्ज 11.8 अरब डॉलर है।
आज एक बयान में वेदांत रिसोर्सेस ने दोहराया कि उसने मार्च 2023 में परिपक्व होने वाली सभी प्रतिभूतियों का पहले ही भुगतान कर दिया है और पिछले 11 महीने में कर्ज में 2 अरब डॉलर की कमी की है।