IT सर्विस कंपनी Infosys ने 300 से अधिक कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है, जिन्होंने मैसूर कैंपस में फाउंडेशनल ट्रेनिंग ली थी। एक सूत्र के मुताबिक, ये फ्रेशर्स तीन प्रयासों के बाद भी इंटरनल असेसमेंट पास नहीं कर सके थे।
हालांकि, IT कर्मचारी संघ नेशनल इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एम्पलाई सीनेट (NITES) ने दावा किया कि इस फैसले से प्रभावित फ्रेशर्स की संख्या और भी अधिक है और उन्होंने श्रम और रोजगार मंत्रालय में कंपनी के खिलाफ आधिकारिक शिकायत दर्ज कराने की धमकी दी है। NITES ने इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने और कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
बेंगलुरु स्थित IT सर्विस कंपनी Infosys ने एक ईमेल के जवाब में कहा, “Infosys में हमारे पास एक सख्त भर्ती प्रक्रिया है, जहां सभी फ्रेशर्स को मैसूर कैंपस में फाउंडेशनल ट्रेनिंग के बाद इंटरनल असेसमेंट पास करना होता है।”
कंपनी ने स्पष्ट किया कि सभी फ्रेशर्स को असेसमेंट क्लियर करने के लिए तीन मौके दिए जाते हैं। यदि वे इसमें पास नहीं होते हैं, तो उन्हें कंपनी में नौकरी पर नहीं रखा जा सकता है। यह शर्त उनके साथ कंपनी के कॉन्ट्रेक्ट में भी लिखा रहता है।
Infosys ने आगे कहा, “यह प्रक्रिया पिछले दो दशकों से लागू है और इससे हमारे क्लाइंट्स को उच्चे कैंडिडेट मिलते हैं।” इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के अनुसार, फ्रेशर्स की संख्या 300 से अधिक है। वहीं, NITES ने दावा किया कि वास्तविक संख्या इससे काफी अधिक है और ये सभी प्रभावित फ्रेशर्स अक्टूबर 2024 में ही ऑनबोर्ड किए गए थे।
NITES ने कहा, “इन कर्मचारियों को ऑफर लेटर मिलने के बाद दो साल से अधिक समय तक इंतजार करना पड़ा था। उनकी ऑनबोर्डिंग केवल NITES और प्रभावित कैंडिडेट्स के लगातार प्रयासों के बाद ही संभव हो सकी थी।”
संघ ने आरोप लगाया कि कर्मचारियों को मैसूर कैंपस में मीटिंग रूम में बुलाया गया और उनसे “म्युचुअल सेपरेशन” (आपसी सहमति से अलग होने) लेटर पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया। हालांकि इस दावे की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है।
NITES ने कहा, “स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, NITES श्रम और रोजगार मंत्रालय में आधिकारिक शिकायत दर्ज कर रहा है और Infosys के खिलाफ तत्काल हस्तक्षेप और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है।”
Infosys एक भारतीय बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनी है जो व्यापार परामर्श, सूचना प्रौद्योगिकी और आउटसोर्सिंग सेवाएं देती है। कंपनी की स्थापना 1981 में एन.आर. नारायण मूर्ति के नेतृत्व में सात इंजीनियरों ने की थी। शुरुआत में, उन्होंने $250 की पूंजी के साथ पुणे में कंपनी की नींव रखी। बाद में, 1983 में, कंपनी का मुख्यालय बेंगलुरु ट्रांसफर कर दिया गया था।
Infosys ने 1993 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में अपना IPO जारी किया, जिससे कंपनी को विस्तार करने में मदद मिली। 1999 में, यह नैस्डैक पर लिस्टेड होने वाली पहली भारतीय कंपनी बनी, जिसने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई। कंपनी के वर्तमान अध्यक्ष नंदन एम. निलेकणी हैं, जबकि सलील पारेख मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और प्रबंध निदेशक (MD) के रूप में कार्यरत हैं।
2023 तक, Infosys के पास वैश्विक स्तर पर 300,000 से अधिक कर्मचारियों की टीम है, जो इसे भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक बनाती है। कंपनी की बाजार पूंजीकरण लगभग ₹7,44,598.77 करोड़ है।