एसऐंडपी ग्लोबल मोबिलिटी के अनुसार देश में हल्के वाहनों की बिक्री में साल 2024 के अनुमानों के मुकाबले साल 2025 में केवल 3.7 प्रतिशत तक की वृद्धि होने की उम्मीद है। देश की सबसे बड़ी कार विनिर्माता कंपनी मारुति सुजूकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने भी हाल में इस रुझान की पुष्टि की है।
पिछले कुछ वर्षों में, खास तौर पर वैश्विक महामारी के बाद हुई जोरदार वृद्धि अब नरमी की ओर है। साल 2024 में यह वृद्धि 2.9 प्रतिशत की दर पर इससे भी कम (जनवरी से सितंबर के बीच यह 2.7 प्रतिशत थी) रहने का अनुमान है। कैलेंडर वर्ष 2023 में बाजार ने 7.3 प्रतिशत से भी ज्यादा वृद्धि की थी। एसऐंडपी की गणना में यात्री वाहनों के अलावा छह टन से कम वजन वाले हल्के वाणिज्यिक वाहन भी शामिल हैं।
भार्गव ने कहा था कि अब मांग में एकाएक तेजी खत्म हो चुकी है। उन्हें लगता है कि अगले कुछ सालों में यात्री कारों की वृद्धि 3 से 4 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी जब तक कि बाजार के निचले छोर पर मांग नहीं बढ़ जाती, जो सिकुड़ रहा है। हालांकि भारत की बिक्री वृद्धि वैश्विक औसत से अधिक होगी। एसऐंडपी के अनुसार इसके 2.7 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है। इससे वाहनों की संख्या साल 2024 के 8.8 करोड़ से बढ़कर साल 2025 में 9.04 करोड़ हो जाएगी।
अलबत्ता भारत की वृद्धि जापान (4.9 प्रतिशत) और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (4.4 प्रतिशत) जैसे कई देशों की तुलना में धीमी होगी। एसऐंडपी के अनुसार साल 2025 में भारत में धीमी वृद्धि की वजह बिक्री बढ़ोतरी में पहले हुआ भारी इजाफा है। यह साल 2019 के महामारी से पहले वाले स्तरों की तुलना में साल 2024 में 34 प्रतिशत की चौंका देने वाली वृद्धि है और दुनिया के किसी भी देश के मामले में सर्वाधिक है। चीन के मामले में यह वृद्धि 4.5 प्रतिशत थी जबकि अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और ब्राजील जैसे देश अपने महामारी से पहले वाले स्तर से नीचे रहे।