भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय व्यापारियों पर प्रतिकूल वैश्विक व्यापार वातावरण के प्रभाव को कम करने के लिए आयात जैसे लेनदेन के लिए विदेशी मुद्रा भुगतान या व्यय की अवधि चार महीने से बढ़ाकर छह महीने कर दी है। यह वृद्धि केवल मर्चेंटिंग ट्रेड ट्रांजैक्शंस (एमटीटी) के लिए उपलब्ध होगी।
एमटीटी व्यवस्था में एक मध्यस्थ या व्यापारी एक विदेशी आपूर्तिकर्ता से सामान खरीदता है, यह सामान मध्यस्थकर्ता के देश में वास्तविक रूप से प्रवेश किए बिना ही अलग विदेशी खरीदार को बेच दिया जाता है। रिजर्व बैंक ने विकासात्मक और नियामक नीतियों पर अपने बयान में कहा कि इस छूट से भारत के व्यापारियों को व्यापारिक लेनदेन की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलने की उम्मीद है और उनकी लाभप्रदता कायम रहेगी। वैश्विक अनिश्चितता के कारण आपूर्ति श्रृंखला में बाधा उत्पन्न होती है।
इससे भारत के व्यापारियों के लिए समय पर अनुबंधों को पूरा करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। रिजर्व बैंक ने अन्य फैसले में कम मूल्य के निर्यातकों और आयातकों के लिए अनुपालन की जरूरतों में राहत दे दी है। इसने निर्यात और आयात डेटा प्रसंस्करण और निगरानी प्रणाली (डीपीएमएस) में सामंजस्य की प्रक्रिया को सरल बना दिया है।
रिजर्व बैंक ने विकास और विनियमन नीतियों पर दिए बयान में कहा कि इस छूट से भारत के व्यापारियों को लाभप्रदता कायम रखते हुए व्यापारिक लेनदेन समुचित ढंग से पूरी करने में आ रही चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।रिजर्व बैंक ने बताया कि वैश्विक अनिश्चितताएं व्यापार में आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर रही है। इससे भारत के कारोबारियों को समय पर अनुबंध को पूरा करने में परेशानियों का सामना करना पड़
रहा है।